कांकेर : हम आपको बस्तर में विवाह के बाद होने वाली एक ऐसी रिवाज के बारे में बताएंगे जो आपने इससे पहले कभी ना सुना होगा और ना ही देखा होगा. आदिवासी बाहुल्य उत्तर बस्तर कांकेर जिले के कागबरस गांव (Kagbaras Village) हैं. जहां शादी में एक अनोखी रस्म अदाएगी की जाती Tribals of Bastar है. इस गांव में शादियों को यादगार बनाने के लिए खास तरह का स्मृति तैयार की जाती है. जो शादी की याद के साथ आने वाले पीढ़ियों के लिए भी एक अमिट निशानी की तरह होती है. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसी कौन सी चीज है जो लोगों को कभी भी शादी की याद ताजा करने के लिए काफी है. वो भी किसी सुदूर इलाके के गांव में जहां वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी का दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं.लेकिन ये सच है आईए हम आपको लेकर चलते हैं ऐसे ही एक जगह जहां पर शादियों को यादगार बनाने के लिए आदिवासियों ने अनोखी परंपरा शुरु की.
आदिवासियों की अनोखी परंपरा :जिला मुख्यालय से लगभग 140 किलोमीटर दूर कोयलीबेड़ा ब्लॉक (Kolyibeda Block) जंगलों से घिरा हुआ है. यहां के ग्रामीण आदिवासी परंपरा के अनुसार शादी विवाह के संपन्न होने के बाद लकड़ी का बड़ा सा स्मृति चिन्ह बनाकर अपने घरों के सामने गाड़ देते Unique tradition of tribals हैं . ऐसा ही कागबरस गांव के एक आंचला परिवार के लोग विवाह की स्मृति चिन्ह के रूप में अपने घर के बाहर एक स्तंभ लगाए हुए है ताकि उस स्मारक को उनकी आने वाली पीढ़ी देख सके.कागबरस के स्थानीय ग्रामीण दशरथ आंचला बताते है कि '' उनका विवाह पिछले साल मई के महीने में संपन्न हुआ था. जिसके बाद उनके घर के बाहर स्मृति के तौर पर एक स्तंभ लगाया गया है. ताकि उनकी आने वाली पीढ़ी इसे देख सके और अपने रीति रिवाजों को न भूले. आंचला बताते हैं कि उनके घर के बाहर हर पीढ़ी का स्तंभ लगा हुआ है. जिसमें उनके पिता,चाचा, दादा और अन्य परिवार के लोग शामिल हैं. इस तरह के स्तंभ गाड़ने की परंपरा सिर्फ गोंड जाति के आंचला गोत्र के लोग ही ऐसा करते हैं.