कांकेर:छत्तीसगढ़ में शिक्षण संस्थानों में नया सत्र शुरू हो गया है. ऐसे में सभी स्कूल खुल गए हैं. अगर आपका बच्चा बस से स्कूल से जाता है तो ऐसे में आपका यह जानना जरूरी है कि जिस बस से आप अपने बच्चे को स्कूल भेज रहे हैं वह बस कितनी फिट है. आपका बच्चा सड़कों पर कितना महफूज है?
कांकेर की स्कूल बसों में कितना सेफ है आपका बच्चा यह भी पढ़ें:मुख्यमंत्री भेंट मुलाकात कार्यक्रम: सीएम भूपेश ने की जशपुर में सौगात की बारिश
कांकेर यातायात पुलिस की जांच में स्कूली बसों की फिटनेस के मामले में गंभीर लापरवाही सामने आई है. यातायात पुलिस द्वारा कांकेर के कुल 23 स्कूल बसों की जांच की गई थी. जेपी इंटरनेशनल स्कूल से 08 , सेंट माइकल स्कूल से 06, पैराडाइज स्कूल से 03, जुपिटर बर्ड पब्लिक से 02 और शिडलिंग स्कूल, सनराइज पब्लिक स्कूल ,चिल्ड्रन पब्लिक स्कूल ,सरस्वती शिशु मंदिर से 1-1 स्कूल बस जांच प्रक्रिया में शामिल किए गए. जांच के दौरान कुल 13 बसों में पैनिक बटन नहीं होना पाया गया. 10 बसों में परमिट की मियाद खत्म होने से परमिट के लिए आवेदन किया. 05 बसों में फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं होना पाया गया. 02 वाहन चालकों के पास 5 वर्ष कम का अनुभव पाया गया.
यातयात प्रभारी महेश साहू ने बताया कि, "वाहनों को स्कूल बस के रूप में चलाने से प्रतिबंधित किया गया है. दस्तावेज पूर्ण करने के बाद दस्तावेज दिखाकर वाहन को स्कूल बस के रूप में संचालन करने की समझाइश दी गई."
स्कूल बसों के संचालन के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन पर एक नजर:
- बसों में स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए.
- बसों का उपयोग स्कूली गतिविधियों और परिवहन के लिए ही किया जाएगा. वाहन पर पीला रंग हो,जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम होना चाहिए.
- वाहन चालक को न्यूनतम पांच वर्ष का वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए.
- बसों में जीपीएस डिवाइस लगी होनी चाहिए ताकि ड्राइवर को कोहरे और धुंध में भी रास्ते का पता चल सके.
- सीट के नीचे बस्ते रखने की व्यवस्था होनी चाहिए.
- बस में अग्निशमन यंत्र रखा हो.
- बस में कंडक्टर का होना भी अनिवार्य.
- बस के दरवाजे तालेयुक्त होने चाहिए.
- बस में प्राथमिक उपचार के लिए फस्ट ऐड बॉक्स उपलब्ध हो.
- बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) लगी हो.
- स्कूली बस में ड्राइवर और कंडक्टर के साथ उनका नाम और मोबाइल नंबर लिखा हो.
- बस के अंदर सीसीटीवी भी इंस्टॉल होना चाहिए ताकि बस के अंदर की दुर्घटना के बारे में पता लगाया जा सके.
- स्कूली वाहन के रूप में चलने वाले पेट्रोल ऑटो में पांच, डीजल ऑटो में आठ, वैन में 10 से 12, मिनी बस में 28 से 32 और बड़ी बस में ड्राइवर सहित 45 विद्यार्थियों को ही सवार कर सकते हैं.