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कांकेर में मंकीपॉक्स संदिग्ध छात्र के गांव पहुंचा स्वास्थ्य विभाग, ये रही वजह

स्वास्थ्य विभाग मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट है. रायपुर में मंकीपॉक्स संदिग्ध मिलने के बाद कांकेर स्वास्थ्य विभाग की टीम उसके गांव चारामा ब्लॉक के गांव पहुंची. परिवारवालों के साथ पूरे गांव की स्वास्थ्य जांच की जा रही है.

Monkeypox tested in village of Kanker
कांकेर के बच्चे में मंकीपॉक्स के लक्ष्ण

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Published : Jul 28, 2022, 5:48 PM IST

कांकेर:रायपुर के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे कांकेर जिले के 14 साल के छात्र में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई देने के बाद जिले समेत प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है. चारामा विकासखंड के रहने वाले इस छात्र को डेढ़ माह पहले से ही स्किन इंफेक्शन था. स्थानीय इलाज के बाद इंफेक्शन दब गया. रायपुर जाने के बाद दोबारा उभरा तो मंकीपॉक्स का संदेह होने पर सैंपल लेकर वायरोलॉजी लैब पुणे भेजा गया है. रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि छात्र मंकीपॉक्स से पीड़ित है या नहीं. (Monkeypox tested in village of Kanker)

मंकीपॉक्स संदिग्ध छात्र के परिवालों का हुआ टेस्ट:मंकी पॉक्स जैसे लक्षण मिलने बाद जिले का स्वास्थ्य विभाग भी हरकत में आ गया. स्वास्थ्य विभाग की स्पेशल टीम कांटेक्ट ट्रेसिंग के लिए छात्र के गांव पहुंची. छात्र की मां, दादा, बहन के अलावा परिवार के अन्य सदस्य व आसपास के लोगों समेत कुल 13 लोगों की जांच की गई. किसी में इस तरह के लक्षण नहीं दिखे. (monkeypox Symptoms in Kanker )

रायपुर के मेकाहारा में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज

गांव में सभी लोगों की हुई जांच: मामला गंभीर होने के कारण 27 जुलाई को चारामा बीएमओ ने गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाया. घर-घर जाकर गांव के सभी लोगों की जांच शुरू कर दी गई. अब तक किसी में मंकी पॉक्स जैसे लक्षण नहीं दिखे हैं.

गांववालों के स्वास्थ्य पर विभाग की पैनी नजर:छात्र में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने के बाद से जिला स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क है. छात्र अपने गांव में जिन लोगों से मिला है उनकी भी हिस्ट्री ली जा रही है. अब तक ऐसे लोगों का सैंपल तो नहीं लिया गया है लेकिन उन पर स्वास्थ्य विभाग पूरी नजर बनाए रखा है.

क्या होता है मंकीपॉक्स : मंकीपॉक्स एक वायरस है , जो रोडेंट और प्राइमेंट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता (Monkeypox in chhattisgarh) है. इससे कभी-कभी इंसान भी संक्रमित हो जाता है. इस तरीके के ज्यादातर मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए हैं. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिक ने 1958 में की थी. जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के प्रकोप हुए थे. इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है.

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स :मंकीपॉक्स किसी भी व्यक्ति के क्लोज कांटेक्ट में रहने पर ही इसके फैलने के चांसेस रहते हैं. लंबे समय तक अगर व्यक्ति किसी के क्लोज कांटेक्ट में है. तभी मंकीपॉक्स फैलने के चांसेस रहते हैं. इसके अलावा गले मिलना, खांसी, छींक से भी ये फैल सकता है. मंकीपॉक्स के सिम्टम्स वायरल इंफेक्शन वाले ही रहते हैं. बुखार आना , सिर दर्द , ठंड लगना और थकान जैसे आम लक्षण होते (Monkeypox cases in raipur ) हैं.

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