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माता-पिता को नया घर देना था, बहन के हाथ पीले करने थे, भारत मां की रक्षा में शहीद हो गए गणेश

शहीद जवान गणेश के पिता इतवारु राम ने बताया कि गणेश जनवरी महीने में आखिरी बार घर आए थे. वे अपने कच्चे मकान के पास माता पिता के लिए नया मकान बनवा रहे थे. घर का काम देखने वे जनवरी में आए थे और जल्द लौटने का वादा कर वापस लौट गए थे. लेकिन किसे पता था कि तिरंगे में लिपटकर आएंगे.

kanker son martyr in galwan valley
शहादत पर गर्व है

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Published : Jun 17, 2020, 6:22 PM IST

Updated : Jun 18, 2020, 5:41 PM IST

कांकेर : लद्दाख में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत ने अपने 20 वीर सपूत खो दिए हैं. इनमें से एक हैं कांकेर के रहने वाले गणेश कुंजाम. गणेश की शहादत की खबर मिलते ही उनके परिवार और गांव में मातम पसर गया है. वे माता पिता के इकलौते बेटे थे. उनके पिता बताते हैं कि घर की माली हालत ठीक नहीं थी इसलिए उनके बेटे ने बारहवीं पास करने के बाद ऑर्मी ज्वॉइन कर ली थी.

भारत मां की रक्षा में शहीद हुए कांकेर के गणेश

मंगलवार की शाम सेना के एक अधिकारी ने गणेश कुंजाम के चाचा तिहारु राम को फोन पर गणेश के शहीद होने की जानकारी दी. पहले तो गणेश के चाचा को इस बात पर यकीन नहीं हुआ फिर उन्होंने घर जाकर खबर देखी. समाचारों में सिर्फ तीन जवानों के शहीद होने की खबर दिखाई जा रही थी. परिजनों को भी उस वक्त तक किसी तरह की जानकारी नहीं थी. बुधवार की सुबह पुलिस अधीक्षक एमआर अहिरे भी शहीद के घर पहुंचे थे, उनक पास भी गणेश की शहादत की ऑफिशियल इन्फॉर्मेशन नहीं थी. बाद में एसपी ने जवान के परिजनों से सेना से आए फोन के संदर्भ में जानकारी ली और उन्हें सांत्वना दी है.

शहीद के पिता

आखिरी बार जनवरी में आए थे घर

शहीद जवान गणेश के पिता इतवारु राम ने बताया कि गणेश जनवरी महीने में आखिरी बार घर आए थे,. वे अपने कच्चे मकान के पास गणेश अपने माता पिता के लिए नया मकान बनवा रहे थे. घर का काम देखने वे जनवरी में आए थे और जल्द लौटने का वादा कर वापस लौट गए थे. लेकिन माता-पिता को क्या पता था कि जिस नए घर को गणेश अपने सपनों में संजो रहे हैं, वे वहां तिरंगे में लिपटकर पहुंचेंगे.

छत्तीसगढ़ का बेटा शहीद

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शादी की चल रही थी बात

शहीद के परिजनों ने बताया कि गणेश की शादी की बात भी चल रही थी. शहीद ने घर बनवाने के बाद बहू लाने का वादा किया था. गणेश की दो बहनें हैं. वे अपने घर में सबसे बड़े थे. एक बहन की शादी हो चुकी है, जबकि छोटी बहन के हाथ पीले करने की जिम्मेदारी गणेश पर थी.

भारत मां की रक्षा में शहीद हो गए गणेश

अंतिम बार चाचा से हुई थी बात

शहीद गणेश की अंतिम बार बात एक महीने पहले अपने चाचा से हुई थी, तब गणेश ने चाचा को बताया था कि उसे लेह से अब चीनी बॉर्डर पर भेजा जा रहा है. उसने बताया था कि अभी बात नहीं हो सकेगी, लेकिन जैसे ही बॉर्डर से लौटेगा वो फोन करेगा. फोन तो आया, लेकिन इस बार गणेश की आवाज नहीं थी, खबर थी उनके बेटे के शहीद होने की.

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दोस्तों से नहीं करते थे ड्यूटी की बात

शहीद गणेश के बचपन के दोस्त महेंद्र ने बताया कि गणेश कभी भी ड्यूटी से संबंधित बात दोस्तों से नहीं करते थे. महेंद्र ने कहा कि गणेश से बॉर्डर के बारे में पूछने पर वो हमेशा बात टाल दिया करते थे और दोस्तों के साथ जब भी मिलते थे,जमकर एन्जॉय करते थे.

घर के हालात देख सेना में गए थे गणेश

गणेश के पिता इतवारु ने बताया कि घर के हालात उतने ठीक नहीं थे. आर्थि स्थिति को देखते हुए वे 12वीं पास करने के बाद ही सेना में चले गए थे. 2011 में सेना में शामिल होने के बाद से गणेश घर की पूरी जिम्मेदारी संभाल रहे थे. उनकी शहादत होने की खबर ने उनके परिजनों को तोड़ कर रख दिया है.

Last Updated : Jun 18, 2020, 5:41 PM IST

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