कांकेर:शहर में काम कर रही जनसेवा सामाजिक संगठन की सबसे अलग दास्तां हैं. जिन सड़ी-गली लावारिस लाशों को कोई छूने तक को तैयार नहीं होता, उनका यह संस्था विधि विधान से अंतिम संस्कार करवाती है. पिछले 17 सालों में संस्था अब तक 113 लाशों को मुक्ति दे चुकी है. ETV भारत को संस्था के प्रमुख अजय मोटवानी ने बताया कि पिछले 17 सालों से उनकी टीम लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार रीति-रिवाजों के साथ करते आ रहे हैं. इस काम के लिए वे किसी से कोई पैसा नहीं लेते हैं. निःस्वार्थ भाव से यह काम करते हैं.
17 साल पहले मिली प्रेरणा
लावारिस लाशों का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराने की सोच और इसके पीछे प्रेरणा अजय मोटवानी को 17 साल पहले मिली. अजय मोटवानी बताते हैं कि कांकेर जिला अस्पताल में एक बुजुर्ग अपने बेटे के इलाज के लिए जिला अस्पताल आए थे. लेकिन इसी दौरान बुजुर्ग पिता की ही मौत हो गई. बेटे के पास घर तक जाने के लिए पैसे नहीं थे. तब अस्पताल के एक डॉक्टर ने उन्हें इस घटना की जानकारी दी. इसके बाद अजय मोटवानी अपनी गाड़ी से मृतक बुजुर्ग का शव गांव तक भेजवाया. उस घटना के बाद से उन्हें लोगों की मदद करने की प्रेरणा मिली. बस यहीं से दिल ऐसा पसीजा कि लावारिस लाशों का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराने की ठान ली.
अब रायपुर नगर निगम उठाएगा अंतिम संस्कार का खर्च
नक्सलियों का भी कर चुके हैं अंतिम संस्कार