कांकेर: पलाश, टेसू, ढाक कुछ ऐसे ही नाम से पुकारा जाता है फागुन का सबसे खूबसूरत फूल. वो पुष्प जिसने बनते हैं होली के रंग. पलाश खिलता है तो लाता है आकर्षण, पलाश खिलता है तो खूबसूरत हो जाता है वन, पलाश खिलता है तो रंग जाती है फिजा फागुन के रंग में. तुम्हें जंगर की आग भले कहा जाता हो लेकिन टेसू तुम वसंत को बदल देते हो मोहब्बत में. पत्ते झड़ भी जाते हैं वृक्ष के लेकिन नजर पेड़ से नहीं हटती.
छत्तीसगढ़ में पलाश के फूल खूबसूरती बिखेर रहे हैं. पलाश के फूल दिखने में जितने खूबसूरत होते हैं उतने ही फायदेमंद भी होते हैं, इनका आयुर्वेदिक महत्व भी बहुत होता है. इस फूल का वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा है. टेसू का रंग देखकर इसे 'जंगल की आग' भी कहा जाता है. पलाश के फूल जब खिलते हैं तो वृक्ष से पत्ते झड़ जाते हैं. इसमें खुशबू नहीं होती लेकिन जब रंग बनाए जाते हैं तो हल्की सी महक आ जाती है.
कई मायने में उपयोगी है पलाश का पुष्प
पलाश उत्तर प्रदेश का राजकीय पुष्प भी है. कहते हैं इसके वृक्ष बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक बीरबल साहू बताते हैं कि पलाश के फूल कई मायनों में उपयोगी है. उन्होंने बताया कि ये फूल कुछ महीनों के लिए ही खिलता है.