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पलाश: जिसके खिलने से घुल जाता है फाल्गुन का रंग, खूबसूरत हो जाता है मन

फागुन का सबसे खूबसूरत फूल पलाश है जो कि उत्तर प्रदेश का राजकीय पुष्प भी है. कहते हैं इसके वृक्ष बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं. फागुन (टेसू) के कई फायदे हैं.

पलाश के फूल से बिखरी खूबसूरती
पलाश के फूल से बिखरी खूबसूरती

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Published : Feb 24, 2020, 11:48 PM IST

कांकेर: पलाश, टेसू, ढाक कुछ ऐसे ही नाम से पुकारा जाता है फागुन का सबसे खूबसूरत फूल. वो पुष्प जिसने बनते हैं होली के रंग. पलाश खिलता है तो लाता है आकर्षण, पलाश खिलता है तो खूबसूरत हो जाता है वन, पलाश खिलता है तो रंग जाती है फिजा फागुन के रंग में. तुम्हें जंगर की आग भले कहा जाता हो लेकिन टेसू तुम वसंत को बदल देते हो मोहब्बत में. पत्ते झड़ भी जाते हैं वृक्ष के लेकिन नजर पेड़ से नहीं हटती.

पलाश के फूल से बिखरी खूबसूरती

छत्तीसगढ़ में पलाश के फूल खूबसूरती बिखेर रहे हैं. पलाश के फूल दिखने में जितने खूबसूरत होते हैं उतने ही फायदेमंद भी होते हैं, इनका आयुर्वेदिक महत्व भी बहुत होता है. इस फूल का वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा है. टेसू का रंग देखकर इसे 'जंगल की आग' भी कहा जाता है. पलाश के फूल जब खिलते हैं तो वृक्ष से पत्ते झड़ जाते हैं. इसमें खुशबू नहीं होती लेकिन जब रंग बनाए जाते हैं तो हल्की सी महक आ जाती है.

कई मायने में उपयोगी है पलाश का पुष्प

पलाश उत्तर प्रदेश का राजकीय पुष्प भी है. कहते हैं इसके वृक्ष बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक बीरबल साहू बताते हैं कि पलाश के फूल कई मायनों में उपयोगी है. उन्होंने बताया कि ये फूल कुछ महीनों के लिए ही खिलता है.

आयुर्वेदिक रूप से बहुत उपयोगी हैं टेसू के फूल

इसके फूल, बीज से कई तरह की आयुर्वेदिक दवाइयां बनाई जाती हैं. ऐसा भी माना जाता है कि इसके फूल वाले पानी से नहाने से लू नहीं लगती है. कहते हैं कि टेसू के फूलों के रंग होली मनाने के अलावा इसके फूलों को पीसकर चेहरे में लगाने से चमक आती है. डायबिटीज की बीमारी वालों के लिए यह लाभदायक होता है. इसके साथ ही गुर्दे की सूजन दूर करने में भी इसे उपयोगी माना जाता है.

पलाश का पौराणिक महत्व

शास्त्रों में भी है पलाश के फूल का वर्णन किया गया है. कहा जाता है कि इस पुष्प में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास है. ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की शांति के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है . हिन्दू धर्म में इस वृक्ष का धार्मिक अनुष्ठानों में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है.

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