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कांकेर: खुले आसमान के नीचे बैठे 17 परिवारों ने वन विभाग पर लगाए गंभीर आरोप

कांकेर के सराईपानी के 17 परिवारों ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ये लोग 11 फरवरी को घर तोड़े जाने की शिकायत लेकर कांकेर थाने पहुंचे थे. ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग ने उनका आशियाना उजाड़ दिया और सामान ले गए. वन विभाग ने आरोपों को खारिज कर दिया है.

Forest workers have taken encroachment action at tribal house in saraipani
कांकेर वन विभाग की कार्रवाई

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Published : Feb 12, 2021, 9:20 PM IST

कांकेर: सरोना परिक्षेत्र की मांझीनगढ़ पहाड़ियों के नीचे 17 आदिवासी परिवार रहते हैं. इस बसाहट को सराईपानी कहते हैं. इन परिवारों ने वन विभाग पर घर तोड़ने, राशन फेंकने, उनका पैसा लेने का आरोप लगाया है. ये लोग 11 फरवरी को घर तोड़े जाने की शिकायत लेकर कांकेर थाने पहुंचे थे. गांववालों का कहना है कि 8 फरवरी को वन अमले की टीम यहां पहुंची और उनका आशियाना उजाड़ दिया. टूटे-फूटे घर, खाली झोपड़ी, बिखरे सामान और खुले आसमान के नीचे रह रहे ये लोग अब मदद की गुहार लगा रहे हैं. वन विभाग ने ग्रामीणों के आरोपों से इंकार किया है.

आदिवासिय़ों के घर की तस्वीर

जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर इस बसाहट के लोग बांगाबारी पंचायत में ये जुड़ना चाहते हैं. वन विभाग के सरकारी रिकार्ड में इसे बांगाबारी दक्षिण सरोना परिक्षेत्र कहा जाता है. आप ठेमा गांव होते हुए छींदखड़क के रास्ते जब यहां से निकलेंगे को 15 किलोमीटर ऊंची पहाड़ी मिलेगी. आपको उस पर चढ़ कर इस बसाहट तक पहुंचना पड़ेगा. ETV भारत जब यहां पहुंचा तो टूटे घर, बिखरा सामान, ठंड में आसमान के नीचे लोग मिले. किसी को गला रुंधा मिला तो किसी ने कहा अब हम जाएं कहां ?

आदिवासिय़ों के घर की तस्वीर

छत छिनने का दर्द

सिर से छत छिनने का दर्द गांववालों की आवाज में था. ETV भारत से ग्रामीणों ने कहा कि वे कई साल से यहां रह रहे थे. खुले आसमान के नीचे बैठे परिवारों ने वन विभाग पर कई आरोप लगाए. राम सिंह नाम के ग्रामीण बताते हैं कि 4 दिन से इमली के पेड़ के नीचे वो बैठे हुए हैं. उनका बेटा घटना वाले दिन था लेकिन उस दिन से गायब है. घर में रखा 10 हजार रुपए नहीं मिल रहा. फुलेश्वरी मरकाम का आरोप है कि वन विभाग की टीम ने उनसे यहां से भाग जाने के लिए कहा और घर तोड़ दिया. वे कहती हैं कि जंगल में खेती-किसानी करके उनका गुजारा हो रहा था. सावित्री नेताम नाम की ग्रामीण का आरोप है कि उनकी एक मुर्गी छोड़कर बाकी सब ले गए.

आदिवासिय़ों के घर की तस्वीर

30 साल से रह रहे थे, अब कहां जाएं ?

ग्रामीण दुखाराम नेताम का कहना है कि वे 30 साल से यहां रह रहे थे. साल 2006 से पट्टे की मांग कर रहे हैं. उनकी खेती-किसानी भी यहीं है. लेकिन अब तक वनाधिकार पट्टा नहीं मिला, ऐसे में अब वे कहां जाएं ? दुखाराम नेताम ने कहा कि वन विभाग ने कहा कि नोटिस देने के बाद भी वे बात नहीं मान रहे हैं. अब यहां से हट जाएं.

आदिवासिय़ों के घर की तस्वीर

वन अधिकारी ने आरोपों को बताया गलत

कार्रवाई वाले दिन वन विभाग के एसडीओ दिनेश पटेल मौके पर मौजूद थे. उनका कहना है कि इस क्षेत्र में कब्जे की खबर आ रही थी. स्थानीय लोगों का आरोप था कि आदिवासी झोपड़ पट्टी बना रहे हैं. उस जगह का निरीक्षण किया गया तो आरोप सही पाए गए. मामला DFO के संज्ञान में आने के बाद उन्हें नोटिस दिया गया. नोटिस का जवाब नहीं आने पर 8 फरवरी को फॉरेस्ट विभाग के 30 वनकर्मी ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की है. एसडीओ ने कहा कि साल 2015-16 से पहले वहां कोई नहीं रहता था.

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'वन अधिकार पट्टे का आवेदन नहीं'

आदिवासी और स्थानीय लोगों में अकसर बसाहट को लेकर टकराव होता रहता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि, वे लोग बाहर से आकर जंगल में कब्जा कर रह रहे हैं. यही कारण है कि अभी तक वन अधिकार समिति ने वन अधिकार पत्र दिलाने की पहल नहीं की है. 2006 में इन ग्रामीणों को लोगों द्वारा हटा दिया गया था. वहीं आदिवासियों का कहना है कि वे 1984 से यहां रह रहे हैं. वन अधिकार पत्र दिलाने के लिए वे लोग कई बार कलेक्टर को आवेदन भी दे चुके हैं. SDO ने कहा कि वन अधिकार पत्र के लिए कोई आवेदन पेंडिंग नहीं है.

आदिवासिय़ों के घर की तस्वीर

अधिकारी ने आरोपों को खारिज किया

एसडीओ दिनेश पटेल ने ग्रामीणों के आरोपों को नकार दिया है. उनका कहना है कि इन लोगों के साथ किसी तरह की जोर-जबरदस्ती नहीं हुई है. किसी के सामान को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि सभी का सामान निकालने के बाद कार्रवाई की गई है. सारी कार्रवाई उनकी निगरानी में हुई है.

आदिवासिय़ों के घर की तस्वीर

पूर्व कैबिनेट मंत्री ने की जांच और कार्रवाई की मांग

पूर्व कैबिनेट मंत्री चंद्रशेखर साहू ने घटना को दुखद बताया है. साहू ने घटना की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.

आदिवासिय़ों के घर की तस्वीर

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