कांकेर: जिला शिक्षा विभाग में हुए 1 करोड़ 21 लाख से अधिक के गबन के मामले में CJM कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया दिया है. कोर्ट ने मामले के आरोपी तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी(DEO) MR खांडे और लिपिक हीरालाल पटेल को 5-5 साल कारावास और 2-2 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है.
छात्रवृति गबन मामले में DEO और लिपिक को 5-5 साल की सजा मामला 2012 से 2014 के बीच का है. अप्रैल 2012 से जनवरी 2014 के बीच हुए शिक्षा विभाग का एक बड़ा घोटाला सामने आया था. दरअसल गरीबी रेखा से नीचे(BPL) जीवन यापन करने वाले छात्र-छात्राओं के उत्थान के लिए 1 करोड़ 25 लाख 62 हजार 155 रुपए में से 1 करोड़ 21 लाख 18 हजार 455 रुपए का गबन तत्कालीन DEO MR खांडे और लिपिक हीरा लाल पटेल ने किया था. जिसके बाद उक्त अधिकारी और लिपिक ने बिना साम्रगी वितरित किए ही विभिन्न फर्मों को भुगतान कर दिया.
कैसे हुआ खुलासा
मामले का खुलासा तब हुआ, जब जिला शिक्षा विभाग की ओर से जारी जारी 20 चेक में से कुल रकम 15 लाख 35 हजार 500 रुपए के 11 चेक बाउंस हो गया. पूरे मामले में तत्कालीन कलेक्टर ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की थी. जांच में खुलासा हुआ था कि शिक्षा विभाग के खाते में रकम ही नहीं है, जिसके बाद 2014 में DEO रहे राजेन्द्र झा ने कांकेर थाना में MR खांडे और लिपिक हीरालाल पटेल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.
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5 फर्म संचालक दोष मुक्त
मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चित्रलेखा सोनवानी ने MR खांडे और लिपिक हीरा लाल पटेल को दोषी पाया, लेकिन सबूतों के अभाव में 5 फर्म संचालको को दोष मुक्त कर दिया गया है. MR खांडे और हीरालाल ने जिन फर्म संचालकों को राशि भुगतान करने की बात कही थी. उनके खिलाफ भी अपराध दर्ज कर सभी को गिरफ्तार भी किया गया था. सभी के खिलाफ कोर्ट में मामले चलाए गए, लेकिन उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने की वजह से सभी को बरी कर दिया गया है.