कांकेर:बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि"आज छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के संरक्षण में खुलेआम धर्मांतरण चल रहा है. छत्तीसगढ़ की संस्कृति को चौपट करने का काम हो रहा है. आदिवासियों की संस्कृति और सभ्यता को चौपट करने का काम कांग्रेस के सरकार में हो रहा है. ये बंद होना चाहिए. धर्मांतरण में रोक लगनी चाहिए. धर्मांतरण के मुद्दे पर आज भी राज्य सरकार सोई हुई है. मुख्यमंत्री खुद जवाब देने के बजाए हम पर ही आरोप लगाते हैं. वो अपनी नैतिक जिम्मेदारी से भागने का काम कर रहे हैं."
कांग्रेस सरकार के खिलाफ बस्तर में गुस्सा:बीजेपी प्रदेशअध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि "हमारे पार्टी के काम कांकेर में तेज गति से आगे बढ़ेगा. साल 2023 में कांकेर के सभी 3 विधानसभा सीटों पर कमल खिलेगा. यह हमें पूरा भरोसा है. देखिए जब 15 साल हमारी सरकार थी. हमने बस्तर का हर क्षेत्र में विकास किया. ना सिर्फ गांव और शहर का विकास किया. कोई भूखा ना सोए इस बात का भी ध्यान रखा. शिक्षा और स्वास्थ्य की अच्छी व्यवस्था की. पुल, कॉलेज, स्कूल, अस्पताल ये सब हमने बनाए. उन 15 सालों में बस्तर का विकास तोज गति से हुआ है. पिछले 4 सालों में बस्तर का विकास रुक गया है. बस्तर और आदिवासी समाज के साथ उपेक्षा और शोषण का काम कांग्रेस की सरकार कर रही है. आज सरकार के खिलाफ बस्तर के लोगों में गुस्सा है."
बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर पहली बार पहुंचे कांकेर:बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि "हमारे पार्टी के प्रभारी ओम माथुर का प्रथम कांकेर प्रवास हुआ है. ओम माथुर ने कांकेर जिले के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक ली है. प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन देते हुए 2023 में हर एक बूथ में चुनाव जीतकर कांकेर जिले के सभी तीनों विधानसभा सीटों में भारतीय जनता पार्टी कैसे जीतें. इसके लिए योजना और रणनीति बनाकर काम करने का निर्देश दिया है. कांकेर जिले के तीनों विधानसभा सीट में कमल खिलेगा या हमें पूरा भरोसा है."
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बस्तर संभाग सत्ता की चाबी माना जाता है:छत्तीसगढ़ में 2023 में विधानसभा चुनाव होने है. इससे पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों ने कमर कस ली है. फिलहाल दोनों ही पार्टियां छत्तीसगढ़ की सत्ता की चाबी कहे जाने वाले बस्तर पर फोकस कर रही हैं. बस्तर संभाग सत्ता की चाबी मानी जाती है. इसकी वजह ये है कि बीते कई चुनाव में देखा गया है कि जिस पार्टी ने बस्तर में जीत हासिल की, राज्य में उसी पार्टी की सरकार सत्ता पर काबिज हुई है. अविभाजित मध्य प्रदेश में यहां कांग्रेस ने 11 सीटों पर जीत हासिल की थी. उसके बाद 2003 के चुनावों में यहां से भाजपा ने 8 सीटें हासिल का प्रदेश में सरकार बनाई. इसके बाद 2008 में बीजेपी को यहां 11 सीटें मिलीं, लेकिन 2018 के चुनावों में यहां भाजपा को सूपड़ा साफ हो गया और पार्टी सत्ता से बाहर हो गई.