कवर्धा: छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहे जाने वाला भोरमदेव मंदिर में हर साल भोरमदेव महोत्सव का आयोजन किया जाता है. यहां दूर-दूर से लोग मेला देखने आते हैं. भोरमदेव को राष्ट्रीय स्तर पर पहचानदिलाने के लिए 1995 में मेले का आयोजन किया गया था. तब से हर साल यहां आयोजन हो रहा है. भोरमदेव इस साल 22वां महोत्सव मनाने जा रहा है, लेकिन लोकसभा चुनाव और आचार संहिता के कारण इस साल ये महोत्सव फीका रहेगा.
कवर्धा: साल दर साल सिमट रहा भोरमदेव महोत्सव, आचार सहिंता के कारण इस साल फीकी रहेगी रौनक !
परंपराओं के अनुसार नवरात्रि के दो दिन पहले तेरस के दिन भोरमदेव मंदिर महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस साल 3 और 4 अप्रैल को दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया जाएगा.
दूर-दूर से आते हैं लोग
हिन्दू रिती रिवाज के अनुसार नवरात्रि के दो दिन पहले तेरस के दिन भोरमदेव मंदिर महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस साल 3और 4अप्रैल को दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. महोत्सव में शामिल होने ग्रामीण क्षेत्र और बैगा जनजाति के लोग भारी संख्या में पहुंचते हैं. ग्रामीण अपने खाने-पीने और सोने की व्यवस्था लेकर यहां पहुंचते हैं और मेले के समापन तक वे यहीं रुकते हैं.
आईजी और कमिश्नर करेंगे दीप प्रज्वलित
बीते कुछ वर्षों से प्रशासन यहां महज रस्म आदायगी कर रहा है. तीन दिन तक चलने वाला ये कार्यक्रम अब सिर्फ दो दिन में सिमट कर रह गया है. वहीं इस साल लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता के कारण न तो महोत्सव का प्रचार किया गया और न ही किसी बड़े कलाकार बुलाया गया है. इसके कारण मेले में आने वाले लोग नाराज हैं. कवर्धा कलेक्टर अवनीश शरण ने बताया कि, इस साल आचार सहिंता के कारण दुर्ग रेंज के आईजी और कमिश्नरमहोत्सव में दीप प्रज्वलित करेंगे. वहीं इस बार स्कूली बच्चों के साथ छत्तीसगढ़ी कलाकार महोत्सव में अपनी प्रस्तुती देंगे.