कवर्धा: शहर को 5 मार्च 1933 को नगर पालिका घोषित किया गया था. वर्तमान में कवर्धा नगर पालिका में कुल 27 वार्ड हैं. अंग्रेजों के जमाने में बनी नगर पालिका के अब्दुल हमीद खान पहले अध्यक्ष बने थे. वर्तमान में कवर्धा नगर पालिका की कुल जनसंख्या 44 हजार 197 बताई जाती है, इसमें 21 हजार 842 पुरुष और 22 हजार 355 महिलाओं की संख्या है. नगर पालिका में कुल 35 हजार 236 मतदाता हैं. इसमें 17 हजार 623 महिला और 17 हजार 613 पुरुष मतदाताओं की संख्या है.
स्वच्छता सर्वेक्षण में ओडीएफ+ के लिए सम्मानित, लेकिन जनता नहीं है खुश ओडीएफ+ के लिए राष्ट्रपति के हाथो सम्मानित
कवर्धा शहर को 5 मार्च 1933 को नगर पालिका घोषित किया गया था. कवर्धा नगर पालिका को स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत ओडीएफ+ के लिए राष्ट्रपति के हाथों सम्मान मिल चुका है. स्थानीय लोगों का मानना है कि, शहर में साफ पेयजल, साफ-सफाई, बिजली के साथ सड़कों स्थिति ठीक नहीं है. लोगों का कहना है कि, नगर पालिका के अधिकारियों को बार-बार बताने के बाद भी शहर में मूलभूत सुविधाओं के लिए कोई काम नहीं किया गया. वर्तमान में शहर में पेजल की बड़ी समस्या है. लेगों का कहना है कि नगर पालिका वार्डों में पेयजल सप्लाई तो करती है, लेकिन वो पानी पीने लायक नहीं है.
शहर में सफाई की स्थिति खराब
शहर में सफाई की स्थिति भी कुछ ठीक नहीं है. लोगों का कहना है कि सड़कों की सफाई तो होती है, लेकिन नालियों की सफाई नहीं होने के कारण शहर में बदबू और मच्छरों की समस्या बनी हुई है. नगर के बहुत से ऐसे भी नाले हैं, जहां निर्माण के बाद से अब तक सफाई ही हुई है. कवर्धा नगर पालिका तो है, लेकिन यहां बच्चों या खिलाड़ियों के खेलने के लिए शहर में एक भी मैदान नहीं है. नगर में जो मैदान है उन्हें नगर पालिका शादी या अन्य कार्यक्रम के लिए किराए पर दे देती है. इसके अलावा नगर में उद्यानों का निर्माण तो कराया गया है, लेकिन देखरेख के अभाव में निर्माण के बाद कुछ ही महीने बाद सभी उद्यान अस्त-व्यस्त हो गए हैं.
पार्किंग की भी व्यवस्था नहीं
नगर की मुख्य सड़कों पर पार्किंग की भी व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण बजार में खरीदारी करने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और यातायात भी प्रभावित रहता है. नगर पालिका एक हाईटेक बस स्टैंड का निर्माण करा रही है, लेकिन वो भी शहर से 2 किलोमीटर दूर है, जिसका उपयोग करने के लिए भी शहरवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. शहर के ज्यादातर वार्डों में सड़क की हालत खराब हो चुकी है, लेकिन नगर पालिका इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. जबकि नगर में कुछ वार्डों में अच्छी खासी सड़कों पर फिर से सीसी रोड निर्माण कराया जा रहा है. बीते 5 वर्षों में विकास के नाम पर शहर में कराये गए ज्यादातर निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए हैं और लोगों को आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी जूझना पड़ रहा है.