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कवर्धा में खाद की कमी से किसान परेशान, खेती हो रही प्रभावित - किसानों की फसल बर्बाद

कवर्धा में धान किसानों (paddy farmers) को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वजह है खाद संकट (fertilizer crisis). प्रशासन जल्द ही इसे दूर करने की बात कह रहा है.

किसान परेशान
किसान परेशान

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Published : Sep 5, 2021, 10:58 PM IST

कवर्धा:जिले में खाद की कमी (shortage of manure) को लेकर लगातार समस्या विकराल होती जा रही है. किसानों को लगातार खाद की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. हालात ये है कि खाद की कमी के चलते किसानों की फसल बर्बाद होने की कगार पर है. जिले के अधिकांश सहकारी समितियों (co-operative societies) में खाद नहीं है. जिस सोसायटी में खाद है वहां वितरण नहीं किया जा रहा है. इसके अलावा निजी दुकानों में जहां खाद है उसे महंगे दामों पर बेचा जा रहा है. कई किसानों ने खाद की कालाबाजारी का आरोप भी लगाया है.

कवर्धा में खाद की कमी से किसान परेशान

खाद नहीं मिलने से किसान परेशान

ऐसे में अब जिले के किसानों के माथे पर फसल बर्बादी की चिंता सताने लगी है. वहीं जब किसान सहकारी सोसायटी जाते हैं तो वहां ना ही खाद मिलता है और न हीं कोई जिम्मेदार व्यक्ति जो किसानों की समस्याएं सुन कर उन्हें बताएं की खाद कब तक आएगी. उसे खाद कब तक मिलेगा. खाद की कमी की समस्या नहीं दूर होने पर किसानों में गुस्सा है. शनिवार को किसान सोसायटी पर बैठे रहे लेकिन प्रबंधक और सेल्समैन नदारद रहे. जिससे किसानों का गुस्सा और फूट गया. दरअसल किसानों की माने तो धान की फसल को इस समय सबसे ज्यादा यूरिया खाद की आवश्यकता है.अगर सप्ताह भर के भीतर खाद उपलब्ध नहीं हुआ तो फसल नष्ट हो जाएगी.

निजी दुकानों से खाद खरीदने को मजबूर किसान

जिले में किसान निजी दुकानों से खाद खरीदने को मजबूर हैं. यहां यूरिया खाद 700 रुपये प्रति बोरी के तौर पर मिल रही है. जबकि समितियों में इसकी कीमत मात्र 267 रुपये प्रति बोरी है. निजी दुकान से भी समय पर किसानों को यूरिया खाद नहीं मिल पा रही है. जिससे किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर है. किसान लगातार खाद की कालाबाजारी का आरोप लगा रहे हैं.

वहीं जिले के कलेक्टर का अपना अलग ही तर्क है. उनका कहना है कि खाद की कमी सिर्फ कवर्धा जिले में ही नही सभी जिलों में हैं. हमारे जिले में तीन मीट्रिक टन खाद अब तक पहुंच चुकी है. दो दिनों के भीतर दो मीट्रिक टन खाद पहुंचने की बात है. जिससे खाद का संकट दूर हो जाएगा.

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