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छठ पूजा : डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य, प्रसाद ग्रहण कर तोड़ा व्रत

कार्तिक शुक्ल षष्टी तिथि को महिलाएं जल में रहकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं. 4 दिनों तक होने वाले विशेष अनुष्ठान में शुद्धता और पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है.

डूबते सूर्य को महीलाओं ने दिया अर्ध्य

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Published : Nov 3, 2019, 7:57 AM IST

जशपुर : भगवान सूर्य की उपासना का पर्व छठ पूजा धूमधाम से मनाया गया. जिले के झारखंड सीमा से लगे होने के कारण इस क्षेत्र में इस पर्व को मानाने वालों की संख्या अधिक है. माना जाता है कि छठ करने से आरोग्यता की प्राप्ति होती है. यह व्रत किसी तपस्या से कम नहीं है.

ऐसे होती है पूजा की शुरुआत
4 दिनों तक होने वाली पूजा में पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है. कार्तिक शुक्ल षष्ट तिथि को महिलाएं जल में रहकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं. वहीं सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस पर्व को लोग धन, धान्य और सुख समृद्धि की कामना को लेकर करते हैं. लोगों की मान्यता है कि छठ का व्रत आरोग्यता भी प्रदान करता है. ऐसी मान्यता है कि छठ की महिलाओं में सूर्य की ऊर्जा विद्यमान हो जाती है. इसकी शुरुआत खीर बनाकर होती है, जिसे खरना कहा जाता है.

छठ मइया के नियमों के विपरित रहकर पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी नहीं होती हैं और पूजा फलित नहीं होता इसलिए इस व्रत को बड़ी श्रद्धा के साथ नियमों का ख्याल रखते हुए करते हैं.

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षष्ठी के दिन व्रती दिनभर उपवास रहकर शाम को छठ घाट पहुंचते हैं और जल में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाता है. सप्तमी के दिन व्रती सूर्योदय से पूर्व छठ घाट में पहुंचकर जल में खड़े रहते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद हवन होता है. हवन के बाद इस महापर्व का समापन होता है.

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