जांजगीर-चांपा :साराडीह बैराज प्रभावित किसान मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए हैं. पिछले 8 सालों से किसानों का मुआवजा नहीं मिल पाया है. जिसके चलते वे मुआवजा के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
किसान अब तक मुआवजा की मांग को लेकर शांति पूर्ण आंदोलन कर रहे थे. लेकिन अब सरकार और प्रशासन से बड़ी लड़ाई लड़ने को तैयार हो गए हैं. किसान अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं.
जल सत्याग्रह पर बैठे किसान
किसानों का कहना है अब तक उन्हें मुआवजा नहीं मिल पाया है. वहीं प्रशासन बैराज में पानी रोक रहा है. जिसके चलते वे खेती नहीं कर पा रहे हैं. उनकी आर्थिक स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही है. जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं और ना ही किसानों की समस्या का समाधान कर रहे हैं. किसानों ने लगातार आला अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों को मामले से अवगत कराया, लेकिन किसानों की किसी तरह की सुनवाई नहीं हो पा रही है. अब किसान अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. किसानों ने साराडीह गांव के बैराज पर ही अपना अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक वे धरने पर बैठे रहेंगे
क्या है पूरा मामला
दरअसल, 2012 में उद्योगों को पानी देने के लिए साराडीह में जल बैराज का निर्माण कराया गया था. बैराज में पानी संग्रहित करना भी शुरू कर दिया गया. लेकिन बैराज निर्माण में जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी. उन्हें अब तक मुआवजा नहीं मिला पाया है. बैराज के पानी को उद्योगों को सप्लाई भी होने लगी. लेकिन अब भी किसान न्याय के लिए भटक रहे हैं. साराडीह, सकराली, उपनी, नवापारा जैसे कई गांव शामिल है. जहां के किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया है.
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बैराज ने तोड़ी किसानों की कमर
छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी जो कि साराडीह के आसपास के गांव के लोगों के लिए भी जीवनदायिनी नदी है. यहां के किसान गर्मी के दिनों में सब्जी की खेती करते थे. यहां होने वाली सब्जी जो पूरे क्षेत्र में मशहूर थी. यहां के किसान और गरीब वर्ग के लोगों के लिए यह एक कमाई का प्रमुख जरिया था. लेकिन बैराज बनने के बाद से वे खेती नहीं कर पा रहे हैं. बैराज में पानी रोक दिया जाता है. पिछले 5-6 सालों से किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं. जिसके चलते उन्हें आर्थिक नुकसान भी हो रहा है. वहीं बारिश के चलते इस क्षेत्र में बाढ़ आ जाती है. लिहाजा बाढ़ से फसलों को नुकसान होता है. किसानों को अब इंतजार है कि सरकार और प्रशासन उनकी बातें सुने, लेकिन सरकारी सिस्टम की लापरवाही के चलते किसानों को अब तक उनका हक नहीं मिल पाया है. जिसकी वजह से यहां के किसान अब आंदोलन करने को मजबूर हैं.
शासन-प्रशासन ने नहीं सुनी समस्याएं
साराडीह की किसान बलाराम यादव बताते हैं कि हम किसानों के साथ धोखा हुआ है. जल संसाधन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि जब तक आप लोगों का भुगतान नहीं होगा और आप लोगों की सहमति नहीं होगी तब तक बैराज में पानी नहीं रोका जाएगा, लेकिन इसके ठीक विपरीत पिछले 1 साल से बैराज में पानी रोका जा रहा है और औद्योगिक घरानों को पानी दिया जा रहा है. पानी रोकने की वजह से किसान तटीय क्षेत्रों में फसल नहीं लगा पा रहे हैं, जिसकी वजह से उनके जैसे कई किसान हैं जिनकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो रही है. किसानों ने कई बार आला अधिकारियों को इस मामले से अवगत कराया. लेकिन किसी ने भी उनकी नहीं सुनी, जिसके चलते वे अब जल सत्याग्रह पर बैठने को मजबूर हुए हैं.
किसान रमेश सारथी बताते हैं कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होगी तो वे जल सत्याग्रह करने के लिए बाध्य होंगे. आगे प्रशासन और सरकार के खिलाफ वे उग्र आंदोलन करेंगे. बहरहाल किसान अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. उन्हें इंतजार है कि शासन-प्रशासन उनकी बरसों पुरानी मांगों को जरूर पूरा करेगा.