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जांजगीर चांपा का रामनामी समाज, जिनके रोम रोम में बसे हैं राम, अब अयोध्या धाम जाने की हैं उम्मीदें - रामनामी

Janjgir Champa Ramnaami: जांजगीर चांपा की रामनामी महिला ने अयोध्या जाने की इच्छा जताई है. साथ ही कहा है कि मेरे रोम-रोम में राम बसे हैं. मैं राम की पूजा में लीन हूं. मुझे अयोध्या धाम के दर्शन करने हैं. दरअसल रामनामी समाज एक ऐसा वर्ग है. जो सिर्फ भगवान राम को पूजते हैं. इसी वर्ग से हीरौदी बाई आती है. आइए जानते हैं उनकी कहानी.

Ramnaami woman expressed her desire to go to Ayodhya
रामनामी महिला ने जताई अयोध्या जाने की इच्छा

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 15, 2024, 5:11 AM IST

मेरे रोम-रोम में बसे हैं राम

जांजगीर चांपा: अयोध्या में राम जी की मंदिर बन कर तैयार हो गया है. 22 जनवरी को राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा है. इस दिन पूरे देश में दीपावली मनाई जाएगी. भारत का कोना-कोना दीयों से प्रज्जवलित होगा. इस दिन कई राम भक्तों के सालों का इंतजार खत्म होगा. हालांकि राम लला के मंदिर दर्शन का इंतजार एक और शबरी को है. जो राम नाम को अपने माथे पर धारण की है और राम नाम का ही जाप करती है.

पूरा परिवार रामभक्त: दरअसल, जांजगीर चाम्पा जिला के नवागढ़ ब्लॉक के खपरी गांव में रहने वाली हीरौदी राम नामी हैं. खपराडीह गांव में रहने वाला एक परिवार राम की भक्ति के लिए प्रसिद्ध है. इस परिवार की तीन पीढ़ी राम नाम को अपने शरीर के कई अंगों पर गोदवा कर अपनी पहचान रामनामी समाज में दर्ज करा ली है. हीरौदी रामनामी से ईटीवी भारत ने बातचीत की.

हमेशा करती हैं राम नाम का भजन:बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि, " मेरे ससुर ने अपने शरीर में राम नाम लिखाया है.पति भी पूरे चहरे पर राम नाम धारण कर रामनामी समाज का प्रतिनिधित्व कर समाज को आगे बढ़ाने का काम किए. शादी के बाद बहु बन कर पहुंची तो अपने पति के शरीर में राम नाम को देख कर राम के प्रति आस्था बढ़ी और खुद भी अपने मस्तक में राम नाम का अमिट श्याही और तीन सुइयों की पीड़ा झेल कर राम नाम को धारण किया. राम नामी समाज में खुद को समर्पित कर दिया. स्कूल तो नहीं गई लेकिन राम नामी भजन मेला में शामिल हो-हो कर रामायण के दोहा-चौपाई भी याद हो गए हैं. घूँघरु की झंकार के साथ राम नाम का भजन करती हूं."

राम नामी समाज किसी मूर्ति की पूजा नहीं करते. लेकिन राम के प्रति आस्था रखते हैं. पिता ने राम नाम को अपने पूरे चहरे पर धारण किया था. उसके बाद भी उनकी सुंदरता अद्भुत थी. उनके स्वर्गवास के बाद अब मां ने भी राम नामी के हर भजन में शामिल होकर राम नाम का गुण गान किया था. अयोध्या में राम मंदिर बनने की खुशी है. ये अयोध्या जाना चाहती हैं. -प्रभा टंडन, रामनामी महिला की बेटी

पूरा जीवन किया राम को समर्पित: रामनामी हिरौदी के बच्चों की मानें तो इनके घर पर कभी भी कोई ऐसा काम नहीं होता है, जो अनैतिक हो. शराब, मांस का भी सेवन नहीं होता है. शुरू से ही हिरौदी और उसके पति राम नामी समाज से जुड़े रहे. उन्होंने अपना पूरा जीवन राममय कर दिया.

मूर्ति की पूजा नहीं करते रामनामी: वैसे तो जांजगीर चाम्पा, सक्ती, सारंगढ और बिलाईगढ़ क्षेत्र में बहुतायत रामनामी हैं. लेकिन धीरे-धीरे बुजुर्गो के निधन होने के बाद इनकी जनसंख्या कम होती चली गई. युवा पीढ़ी स्कूल कॉलेज जाने की वजह से अपने शरीर पर राम नाम नहीं लिखते हैं. लेकिन भजन में उपयोग होने वाले ओढ़नी और साफा में राम नाम लिखा कर धारण करते है और अपने दिल में राम को बसाए है. इन राम नामी समाज का सबसे खास बात यह है कि राम पर आस्था रखने के साथ ही सत्य,अहिंसा को ये अपनाए हुए हैं. नशा के साथ सामाजिक कुरीतियों से ये दूर रहते हैं.बता दें कि रामनामी समाज मूर्ति की पूजा नहीं करते.

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