जांजगीर चांपा: इन दिनों जिले में धान की कटाई चल रही है. हार्वेस्टर से धान की कटाई हो रही है. किसान धान की कटाई करने के बाद बचे पैरा का इस्तेमाल खाद बनाने की बजाय खेत में ही जला दे रहे हैं, जिसकी वजह से जैविक खेती को नुकसान हो रहा है.
जांजगीर चांपा : पैरा बनाने की जगह उसे खेत में ही जला रहे, जैविक खेती को हो रहा है नुकसान - ग्रीष्मकालीन धान की फसल
किसान धान की कटाई करने के बाद बचे पैरा का इस्तेमाल खाद बनाने की बजाय खेत में ही जला दे रहे हैं, जिसकी वजह से जैविक खेती को नुकसान पहुंच रहा है.
आग से मर जाते हैं कीड़े और बैक्टीरिया
वहीं कृषि विस्तार अधिकारी जेआर जांगड़े ने बताया कि किसानों को खेत में पैरा को नहीं जलाना चाहिए. ऐसा करने से खेत में मौजूद जमीन को उपजाऊ बनाने वाले कीड़े और बैक्टीरिया मर जाते हैं, जिसकी वजह से जमीन बंजर हो सकती है. वहीं आस-पास के हरे-भरे पेड़ पौधे भी आग की चपेट में आकर जल जाते हैं. कई मासूम पशु-पक्षी भी आग से झुलस जाते हैं, जिसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है.
पशु-पक्षी को भी नुकसान पहुंचता है
खासतौर से चिड़ियां जो अंडे दी रहती हैं. अंडा होने की वजह से वह अपना घोंसला नहीं छोड़ती और उनकी भी मौत हो जाती है, जिसकी वजह से पर्यावरण के साथ-साथ अन्य पशु-पक्षी को भी नुकसान पहुंचता है और आग लगने की वजह से वायु प्रदूषण भी होता है. ऐसे में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पेरा नहीं चलाना चाहिए बल्कि उसे खाद बनाने के उपयोग में लाना चाहिए.