बस्तर:बुलेट पर बैलेट पड़ा भारी, बुझदिली पर जिंदादिली ने मारी बाजी, धरा रह गया 'लाल आतंक' का दहशत वाला प्लान, बस्तर में बंपर हुआ मतदान. ये तस्वीरें सबूत हैं गणतंत्र की जीत की, ये कतारें गवाह हैं देशभक्ति के उस जज्बे की, जिसके भरोसे महफूज है मुल्क और बेफिक्र हैं हम.
लोगों ने बढ़-चढ़कर किया मतदान
गुरुवार को छत्तीसगढ़ के उस हिस्से में मतदान होना था जिसे 'मौत का गढ़' कहा जाता है, जान को खतरा और बार-बार धमकियां मिलने के बावजूद लोग घरों से निकले और उन्होंने लोकतंत्र के महायज्ञ में अपनी आहुति दी.
नहीं हुआ नक्सलियों की धमकी का असर
क्या बूढ़ा, क्या जवान और क्या महिलाएं, सभी ने एकजुट होकर मतदान में हिस्सा लिया. इस दौरान कई ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जिन्हें देखकर यह यकीन हो गया कि लाल आतंक के रहनुमा चाहे कितनी भी कोशिश क्यों न कर लें पर वो आवाम के जज्बे का बाल भी बांका नहीं पाएंगे.
सुरक्षा के पुख्ता थे इंतजाम
जहां एक ओर लोग बेफ्रिक होकर पोलिंग बूथ पहुंचे तो वहीं सुरक्षा में तैनान जवानों ने भी ये बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि अगर कोई मुसीबत आएंगी, तो वो सबसे पहले उसने होकर गुजरेगी.
एंबुलेंस और व्हील चेयर से पहुंचे वोटर
इस दौरान कोई एंबुलेंस से वोट देने पहुंचा, तो किसी के लिए बैसाखी लोकतंत्र को मजबूत बनाने का सहारा बनी. किसी ने पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सुखद अनुभव लिया तो कोई व्हीलचेयर पर वोट डालने पहुंचा.
आत्मसमर्पित नक्सली कर रहे थे सुरक्षा
सुकमा का एक पोलिंग बूथ ऐसा भी था, जहां वो लोग सुरक्षा दे रहे थे, जिन्होंने कभी 'लाल आतंक' साथ देते हुए पोलिंग पार्टी पर हमला करने से लेकर मतपेटी लूटने का काम भी किया था. इनमें से एक शख्स तो ऐसा भी था, जिसने कभी नक्सलवाद को मजबूत करने के लिए गाने गाए थे, लेकिन आज वो बस्तर की खुशहाली और लोकतंत्र की मजबूती के लिए गीत गा रहा था. सुबह से तो सबकुछ एकदम चकाचक चल रहा था, लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही आने वाली तस्वीर ने जहां एक ओर दिल को कचोट दिया, तो वहीं सिर को फक्र से ऊंचा भी कर दिया.
भीमा मंडावी के परिवार ने किया मतदान
9 अप्रैल की शाम दंतेवाड़ा के नकुलनार में हुए नक्सली हमले में अपनी जान गंवाने वाले बस्तर के एकमात्र बीजेपी विधायक भीमा मंडावी का परिवार वोट डालने पहुंचा. ये उस बात का सबूत था कि 'लाल आतंक' चाहे जितने जख्म दे दे, लेकिन इन बहादुरों का जज्बा कम होने वाला नहीं है. ये तस्वीर अभी जहन में उतरी ही थी कि एक और तस्वीर हमारे सामने आई. इस बार ग्रामीण वोटिंग के वक्त लगने वाली अमिट श्याही को पत्थर से मिटाते दिखे. इनमें नक्सलियों का खौफ तो था, लेकिन जज्बे और मुल्क से मोहब्बत इन्हें पोलिंग बूथ तक खींच लाई थी.
इस तरह बस्तर के लोगों ने खौफ और लगातार धमकियों के बाद भी लोगतंत्र के हक में वोट दिया.