बस्तर:बस्तर घने जंगलों से पटा हुआ है. बस्तर के जंगल में वन उपज सबसे ज्यादा होती है. क्योंकि बस्तर का वातावरण उत्पादन करने और वृक्षों को बढ़ाने के अनुकूल होता है. यही कारण है कि बस्तर के आदिवासी वनोपज पर ही अधिकतर आश्रित रहते हैं. वन विभाग की ओर से आदिवासियों को समय-समय पर वन की स्थिति के बारे में जानकारी भी दी जाती रही हैं.
बस्तर में पहली बार वन अधिकार महोत्सव का आयोजन:वन के संरक्षण और संवर्धन के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. अब सरकार ने वन संरक्षण और संवर्धन के लिए ग्रामीणों को वन अधिकार भी दिया है. इसे देखते हुए बस्तर में पहली बार वन अधिकार महोत्सव का आयोजन किया गया. ये आयोजन नेतानार गांव में आयोजित किया गया. इस महोत्सव में 9 वन समिति और आसपास के ग्रामीणों के साथ ही वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी शामिल हुए.
कार्यक्रम की शुरुआत धुरवा जनजाति के नृत्य से: सबसे पहले कार्यक्रम में वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ने बस्तर की वीर गुंडाधर की मूर्ति पर माल्यार्पण किए. इसके बाद उपस्थित सभी अतिथियों को पगड़ी बांधा गया. हल्दी-चावल का टीका लगाकर उनका स्वागत किया गया. इसके बाद नृतक दल ने स्वागत नृत्य किया. अधिकारी और कर्मचारियों ने कार्यक्रम के उद्देश्य की जानकारी ग्रामीणों को दी. साथ ही बस्तर के सीसीएफ आरसी दुग्गा ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए वन के संरक्षण और संवर्धन के लिए उन्हें जानकारी दी. अलग-अलग वन उपज के उत्पादन के लिए पौधारोपण करने की भी सलाह दी. इसका सहयोग वन विभाग की ओर से किया गया.