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दंतेवाड़ा में है नाग देवता का 600 साल पुराना मंदिर, नागपंचवीं में आदिवासी करते हैं पूजा

मंदीर के पुजारी प्रमोद अटामि बताते हैं कि ये मंदीर करीब 600 साल पुराना है. यहां जमीन से निकली नागवंश के दौर की मूर्तियां स्थापित हैं.

नाग देव की पूजा करता आदिवासी समुदाय

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Published : Aug 6, 2019, 8:09 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

दंतेवाड़ा: बस्तर अपनी संस्कृति, लोक परंपराओं और धरोहरों के लिए विश्व विख्यात है. नाग पंचमी को लेकर भी बस्तर के आदिवासियों में अनूठी परंपरा है. अच्छी बारिश के लिए बस्तर के आदिवासी नाग देवता की पूजा करते हैं.

नागपंचमी की पूजा अर्चना.

मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर नागफनी गांव में मौजूद 600 साल पुराने मंदिर में आदिवासी श्रद्धालुओं का जत्था इकट्ठा होता है. ये आदिवासी यहीं आसपास के करीब दर्जन भर पंचायतों से आते हैं. अपनी परंपराओं के मुताबिक वे सभी नाच-गा कर नाग देव को मनाते हैं, ताकी वे अच्छी बारिश का बस्तर को आर्शीवाद दें.

600 साल पुराना है मंदीर
मंदिर के पुजारी प्रमोद अटामि बताते हैं कि ये मंदीर करीब 600 साल पुराना है. यहां जमीन से निकली नागवंश के दौर की मूर्तियां स्थापित हैं. पुजारी बताते हैं कि यहां पहले मूर्तियां बिखरी पड़ी हुई थी और श्रद्धालु इन्हीं की पूजा अर्चना करते थे. साल 1982 में ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर सभी मूर्तियां एकत्रित कर इस मंदीर का निर्माण किया, तब से लेकर अब तक नाग पंचमी के दिन आदिवासी पहुंचते हैं और नाग देव से अच्छी बारिश का आर्शीवाद मांगते हैं.

बस्तर का लोकनृत्य
लोक नृत्य, लोक गीत, लोक परंपरा बस्तर की पहचान है. यहां नाग देव की पूजा-अर्चना आदिवासी विधि विधान से करते हैं. इस वक्त यहां बस्तर की लोक नृत्य और गीत का भी अनूठा संगम दिखाई पड़ता है. आदिवासी अपने परंपरा के मुताबिक नाच-गा कर नाग देव को खुश करते हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

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