जगदलपुर : कोरोना महामारी की वजह से मार्च महीने में लॉकडाउन लगा. जब सभी काम धंधे बंद हो गए तो ग्रामीणों को मनरेगा का सहारा मिला. बस्तर के आदिवासी अंचलों में रहने वाले ग्रामीणों के लिए भी मनरेगा संजीवनी साबित हुई. बस्तर जिले के करीब 83 हजार से ज्यादा मजदूरों को रोजगार मिला. प्रवासी मजदूरों को भी इस योजना का लाभ मिला. बस्तर जिले से कुल 59 हजार परिवारों ने रोजगार की मांग की थी. 83 हजार के लगभग मजदूरों को रोजगार दिया गया. मजदूरों को 43 करोड़ 76 लाख रुपए का भुगतान हुआ.
कब मिलेगी मजदूरी?
भुगतान को लेकर बस्तर जिले में भी समस्या बनी हुई है. बस्तर जिले में सैकड़ों मजदूरों को 59 लाख रुपए का भुगतान करना बाकी है. जिले की भैंसगांव ग्राम पंचायत की महिला मजदूरों को साल 2019 की मजदूरी नहीं मिली है. किसी ने 16 दिन, किसी ने 30 दिन और किसी ने 20 दिन काम किया था. कई बार गुहार लगाने के बावजूद उन्हें भुगतान नहीं किया गया है.
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जिले के मोंगरापाल ग्राम पंचायत के उप सरपंच ने भी अपने ही जनप्रतिनिधि और सचिव पर आरोप लगाया है. उपसरपंच का कहना है कि उनके ग्राम पंचायत में भी कई ग्रामीण मजदूरों को भुगतान नहीं हुआ है. गांव के करीब 30 से 40 मजदूरों का पिछले 3 महीनों का भुगतान बचा है.
मनरेगा के तहत विकास कार्य
आंगनबाड़ी, डबरी, तालाब गहरीकरण, नाली, कुआं, गौठान, तालाब, धान खरीदी चबूतरे, नए पंचायत भवन, मुर्गी पालन के लिए शेड, वर्मी टैंक, सड़क निर्माण और सीसी नाली के काम कराए गए.