जगदलपुर: विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा की दूसरी महत्वपूर्ण डेरी गड़ई की रस्म बुधवार को सीरहासार भवन में पूरी की गई. इस रस्म के साथ ही रथ के निर्माण कि प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरई पेड़ की लकड़ियों को लाना शुरू कर दिया जाता है. रथ बनाने के लिए झारउमर गांव और बेड़ाउमर गांव से 100 से भी ज्यादा कारीगर बुलाए जाते हैं, जिनकी खातिरदारी के लिए यहां इंतजाम किया जाता है.
ये है डेरी गड़ई की रस्म
- रियासतकाल से चली आ रही डेरी गड़ई की इस रस्म में परंपरा के अनुसार इसके लिए बिरिंगपाल गांव से सरई पेड़ कि टहनियां लाई जाती हैं और इन टहनियों की पूजा कर पवित्र किया जाता है.
- इसके बाद लकड़ियों को गाड़ने के लिए बनाए गए गड्ढों में अंडा और जीवित मछलियाँ डाली जाती हैं.
- फिर टहनियों को गा़ड़कर इस रस्म को पूरा किया जाता है और माता दंतेश्वरी से रथ निर्माण प्रक्रिया को शुरू करने की इजाजत ली जाती है.