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बस्तर: टीबी मरीजों के लिए वरदान साबित हुआ मास्क - बस्तर में टीबी मरीजों की संख्या

कोरोना काल में मास्क लगाने की वजह से बस्तर में टीबी के मरीजों में कमी आई है. कोरोना के एहतियाती कदमों ने कई लोगों की जान बचाई है. टीबी विभाग के मुताबिक इससे टीबी मरीजों की संख्या में गिरावट आई है.

decrease in number of tb patients in bastar
बस्तर में टीबी मरीजों में कमी

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Published : Mar 28, 2021, 6:55 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: कोरोना से बचाव के लिए सबसे जरूरी मास्क ने बस्तर में जादुई असर दिखाया है. यहां कोरोना काल में मास्क लगाने की वजह से टीबी के मरीजों में भारी कमी आई है. यही वजह है कि इस साल 2020 में टीबी के मामले में 40% कमी आई है. जिला टीबी अधिकारी के मुताबिक पिछले कुछ सालों के मुकाबले में इस साल उनके यहां मरीजों की संख्या में 40% तक की कमी आई है. बीते साल 2019 में जहां जिले में टीबी के 1 हजार 350 मामले सामने आए थे, वहीं साल 2020 में आंकड़ा घटकर 916 तक पहुंच गया है. मौत भी पिछले साल से 65% घटकर 10% तक सीमित हो गई है. इस साल 2021 में मार्च महीने तक केवल 170 टीबी के मरीज ही जिले में मिले हैं. चिकित्सा अधिकारियों का कहना है कि कोरोना काल में लोगों ने मास्क का प्रयोग किया था, वहीं वायरस के डर से लोगों से दूरी भी बना कर रखी थी, यही वजह है कि टीबी का फैलाव ज्यादा नहीं हुआ.

बस्तर में टीबी मरीजों में कमी

पिछले साल तक टीबी की सफलता दर 85 प्रतिशत तक थी. लेकिन इस साल 2020 में यह दर भी बढ़कर 95 प्रतिशत हो गई है. टीबी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तमाम चुनौतियों के बाद भी टीबी की जांच अभियान को किसी तरह से कमजोर नहीं पड़ने दिया गया. दवा पहुंचाने से लेकर उनकी मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी भी टीबी मितानों ने किया. जिसके चलते यह सफलता मिली. अधिकारी ने कहा कि साल 2024 तक उनका लक्ष्य है कि टीबी संक्रमित मरीजो की संख्या शून्य करने के साथ टीबी की सफलता दर भी 100% किया जाए.

टीबी मरीजो के मृत्यु दर में भी कमी

टीबी विभाग के प्रभारी डॉक्टर सीआर मैत्री ने बताया कि विभाग ने टीबी रोग से बचने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए नए-नए तरीके अपनाए और ज्यादा से ज्यादा जांच किया. जिस वजह से उन्हें यह सफलता मिली. कोरोना की वजह से लोगों ने मास्क उपयोग किया जिसने टीबी जैसी बीमारी के लिए फिल्टर का काम किया और इससे न सिर्फ टीबी मरीजों की संख्या में कमी आई, बल्कि टीबी मरीजों की मृत्यु दर में भी काफी गिरावट दर्ज की गई.

एलर्जी और अस्थमा के मरीजों में भी आई कमी

ऐसा नहीं है कि मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना काल ने सिर्फ टीबी के प्रकोप को ही कम किया. बल्कि इसकी वजह से एलर्जी और अस्थमा के मरीजों में भी काफी कमी आई है. मेडिकल कॉलेज के ओपीडी डिपार्टमेंट में सेवा देने वाले डॉक्टरो ने इसकी पुष्टि की है.

टीबी विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक:

  • साल 2017 में टीबी के 1 हजार 371 मरीज सामने आए और 42 लोगों की टीबी से मौत हुई.
  • साल 2018 में 1 हजार 512 मरीज सामने आए. जिसमें 44 लोगों की मौत हुई.
  • साल 2019 में 1 हजार 350 मरीज सामने आए और इस सत्र में 26 लोगों की मौत हुई
  • साल 2020 में 915 मरीज सामने आए हैं और 9 लोगों की मौत हुई है.
  • साल 2021 के मार्च महीने तक केवल 170 केस सामने आए हैं और केवल 2 लोगों की मौत हुई है.
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

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