जगदलपुर: बस्तरिया बैक बेंचर्स लॉकडाउन (Lockdown) के पहले दिन से ही बस्तर में हर जरूरतमंदों तक दो वक्त का भोजन पहुंचाने का काम कर रहे हैं. यही नहीं नि:शुल्क एंबुलेंस की सुविधा और डॉक्टरों का मुफ्त परामर्श भी मरीजों को ऑनलाइन करा रहे हैं. इस टीम का सहयोग करने के लिए नन्ही बच्चियों ने भी हाथ बढ़ाया और अपना गुल्लक तोड़कर 1000 रुपए की मदद कर मिसाल पेश की है. बच्चियों ने कहा कि वे भी चाहती हैं कि उनके पैसों से हर जरूरतमंद तक खाना पहुंचे. किसी को ऐसे समय मे परेशान होना ना पड़े.
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माहिरा, मशीरा और इनाया ये तीनों नन्ही बच्चियां बस्तरिया बैक बेंचर्स की टीम में शामिल वसीम लीला की बेटियां हैं. पिछले 40 दिनों से अपने पापा को यह तीनों ही बच्चियां खाना बांटते हुए सोशल मीडिया और न्यूज पेपर में भी देख रही हैं. हाल ही में ईद का पर्व था और इस दौरान तीनों ही बच्चियां बकायदा रोजा रखी हुई थीं. इस दौरान अपने पिता से खाना बांटने के लिए साथ में ले जाने की जिद करती थीं. लेकिन कोरोना के कहर की वजह से उनके पिता वसीम लीला मना करते थे.
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ईदी में मिले पैसे और गुल्लक तोड़ दिया पैसा
तीनों ही बच्चियों ने किसी भी तरह बस्तरिया बैक बेंचर्स की टीम को अपनी ओर से सहयोग करने की ठानी और ईदी में मिले पैसे और अपने गुल्लक में जुटाए पैसे बस्तरियां बैक बेंचर्स की टीम को देने की ठानी. बच्चियों ने कहा कि वे चाहती हैं कि उनके पैसों से भी हर जरूरतमंदों को भरपेट खाना मिले. कोई भी इस लॉकडाउन में परेशान नहीं रहे. उन्होंने कहा कि उनके पिता और उनके दोस्त बहुत अच्छा काम कर रहे हैं.
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लॉकडाउन के पहले दिन से खाना बांट रहा बस्तरिया बैक बेंचर्स
इन तीनों बच्चियों के पिता वसीम लीला ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उनका भी कामकाज पूरी तरह से बंद हो गया है. लॉकडाउन के पहले ही दिन से वे भी बस्तरिया बैक बेंचर्स की टीम में शामिल होकर जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने का काम कर रहे हैं. टीम के सदस्य पैसे इकट्ठे कर हर दिन 200 लोगों को दोनों वक्त का भोजन कराया जाता है. उनकी तीनों बेटियां साथ चलने की जिद करती थीं, लेकिन कोरोना के डर से वे उन्हें साथ में नहीं ले जाते थे. उनकी बेटियों ने कहा कि वे अपनी पॉकेट मनी गुल्लक में जमा किए हुए हैं और उसे बस्तरिया बैक बेंचर्स को देना चाहती हैं ताकि उनके पैसों से भी सभी जरूरतमंदों को भोजन मिले. उसके बाद तीनों बच्चियों ने अपनी गुल्लक तोड़कर और ईदी में मिले पैसे को इकट्ठे कर टीम को सहयोग के रूप में दिया.
बच्चियों ने अपनी गुल्लक तोड़ बस्तरिया बैक बेंचर्स को पहुंचाई मदद बच्चियों ने पेश की मिसाल
बस्तरिया बैक बेंचर्स की टीम में के सदस्य सन्नी शेख ने बताया कि जरूरतमंदो तक खाना पहुंचाने के लिए शहर के कई नागरिकों ने टीम का सहयोग किया. वहीं अब लॉकडाउन की अवधि बढ़ा दिए जाने से उन्हें राशन संबधी भी दिक्कत आ रही थी, ऐसे में इन नन्ही बच्चियों ने अपने गुल्लक को तोड़कर टीम का सहयोग करने के साथ उनका हौसला अफजाई भी किया. सन्नी ने बताया कि यह पहला मौका है, जब लॉकडाउन के इन 40 दिनों में छोटी-छोटी बच्चियों की ओर से टीम को सहयोग प्राप्त हुआ है. जिसके लिए बस्तरिया बैंक बेंचर्स की टीम इन बच्चियों का दिल से आभारी हैं.