जगदलपुर: प्रकृति की गोद में बैठा बस्तर अपनी अनोखी परंपराओं से समृद्ध है. वनोपज के नजरिए से भी बस्तर बेहद धनी इलाका है. यहां के वनोपज देश और विदेशों तक जाते हैं. खासकर इमली, टोरा, महुआ और तेंदूपत्ता के अलावा चिरौंजी यहां के आदिवासी ग्रामीणों के मुख्य आय के स्रोत हैं. लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा आम बगीचा भी बस्तर में ही मौजूद है. लगभग 100 से 150 एकड़ में फैला यह आम का बगीचा कई दशकों से बस्तर की शोभा बढ़ा रहा है. यहा की जीवनदायिनी इंद्रावती नदी के तटीय इलाके से लगे हुए इस बगीचे में दावा है कि एक हजार से ज्यादा किस्म के आम मिलते हैं. सीजन में आय का प्रमुख स्त्रोत भी होते हैं.
छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा आम का बगीचा बस्तर में मौजूद है 1 हजार तरह के होते हैं आम
जगदलपुर शहर से लगे डोंगाघाट में मौजूद आम का बगीचा कई सौ साल पुराना है. यहां के जानकार बताते हैं कि इस बगीचे का एक-एक पेड़ 300 से 400 साल पुराना है. डोंगाघाट की खास बात ये है कि यहां अधिकतर आम के पेड़ ही दिखाई देते हैं. आम के सीजन में पेड़ में पत्ते कम और आम ज्यादा दिखते हैं. जानकार बताते हैं कि इस आम के बगीचे में 1000 प्रकार के आम होते हैं. हालांकि इनमें से 95 प्रतिशत देसी आम है. इसके अलावा बैगनफल्ली, तोता फल्ली, कमली, दशहरी, सुंदरी और अल्फाजों जैसे कई तरह के आम इन पेड़ों में फलते हैं. खास बात यह है कि इस आम के बगीचे के आसपास रहने वाले ग्रामीणों का यह आय का मुख्य स्रोत है. हर साल गर्मी के मौसम में और आम के सीजन में सभी ग्रामीण इस बगीचे के आम पर ही निर्भर रहते हैं.
पेड़ में पककर नीचे गिरते आम आम से होती है आय
डोंगाघाट के स्थानीय ग्रामीण इस बगीचे के आम को बाजार के साथ ही नेशनल हाईवे पर भी बेचते हैं. स्थानीय ग्रामीण विक्रेताओं का कहना है कि बगीचे में फलने वाले आम की लोग काफी तारीफ करते हैं. इस साल उन्हें आम से काफी आमदनी भी हुई है.
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प्राकृतिक रूप से पेड़ों पर पकते हैं यहां के आम
डोंगाघाट में रहने वाले किसान कमलेश मंडन बताते हैं कि आम का ये बगीचा लगभग 100 से 150 एकड़ में फैला हुआ है. जो 50 से 60 किसानों का है. उन्होंने बताया कि इस साल बाकी सालों की तुलना में पेड़ों में काफी आम फले हैं. लेकिन तोड़ाई के अभाव में कई सारे आम पक के नीचे गिरकर फूट जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि जितने भी पेड़ों में आम के फल हैं वे प्राकृतिक रूप से नीचे गिरने पर ही ग्रामीणों इसे उठाकर बेचते हैं.
छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा आम का बगीचा किसानों को नहीं आता आम के पेड़ पर चढ़ना और तोड़ना
आम तोड़ाई नहीं करने की मुख्य वजह यह है कि यहां किसी भी किसान को नहीं मालूम कि आम के पेड़ पर कैसे चढ़ा जाता है और आम को कैसे तोड़ा जाता है ? पेड़ों से आम की तोड़ाई नहीं किए जाने की वजह से अधिकतर आम पेड़ों पर ही सड़कर गिर जाते हैं. कई बार यहां के किसानों ने कृषि विभाग से आम के पेड़ों पर चढ़ने और उन्हें तोड़ने की ट्रेनिंग देने की भी मांग की. लेकिन विभाग ने इसमें किसी तरह की रुचि नहीं दिखाई. लिहाजा कोई भी किसान आम के पेड़ में चढ़ने में असमर्थ है. कमलेश कुंदन बताते हैं कि आधुनिक युग में आम के पेड़ में चढ़ने के लिए और इन फलों को तोड़ने के लिए कई टेक्नोलॉजी भी अपनाई जाती है. लेकिन बस्तर के किसानों को इसकी बिल्कुल भी जानकारी नहीं है और यही वजह है कि इस आम के बगीचे में जितने भी फल उगते हैं वह नीचे गिरने के बाद ही उठाए जाते हैं.
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आम ही यहां के ग्रामीणों की आय का साधन
किसान कमलेश मंडन बताते हैं कि आम के सीजन के वक्त लगभग डेढ़ सौ से 200 परिवार आम पर निर्भर रहते हैं. इससे उनकी अच्छी कमाई होती है. हालांकि उनका कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर बस्तर में आम फलने के बावजूद भी इसको लेकर सरकार पूरी तरह से उदासीनता बरत रही है. किसान कमलेश मंडन का कहना है कि एक तरफ जहां प्रदेश सरकार लघु वनोपज को महत्व देती है और इमली, काजू व बस्तर में पाए जाने वाले अन्य वनोपज पर प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने पर विचार भी कर रही है. ऐसे में अगर आम बगीचे में भी सरकार ध्यान देती है तो इससे किसानों और स्थानीय लोगों को भरपूर फायदा मिलेगा. किसानों के साथ-साथ बस्तर के स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा. बस्तर में इस देसी आम से अचार भी तैयार किया जा सकेगा और आमचूर भी बड़े पैमाने पर तैयार किया जा सकेगा. जिससे काफी फायदा होगा.
एक बाग में कई तरह के आम
देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग प्रजाति के आम पाए जाते हैं. आम के शौकीन अपने-अपने पसंद के आमों का बाजार में पहुंचने का इंतजार करते हैं. बैगनफल्ली और तोता फल्ली आंध्र प्रदेश के मशहूर आम हैं. ऐसे ही दशहरी और कलमी भी अलग-अलग राज्यों की पहचान है. लेकिन बस्तर के इस आम बगीचे की खास बात ये है कि यहा सभी प्रकार के आम एक ही बगीचे में पाए जाते हैं. पेड़ों पर प्राकृतिक रूप से पकने के कारण यहां के आम का स्वाद भी काफी मीठा और रसीला होता है.