जगदलपुर: बस्तर में टीबी (Tuberculosis) से बढ़ते मरीजों के चौंकाने वाले आंकड़ें सामने आए हैं. नेशनल टीबी रिपोर्ट के मुताबिक बस्तर के हर चौथे व्यक्ति में टीबी के बैक्टीरिया पाए गए हैं. बावजूद इसके बस्तर के लोग इस बीमारी के लक्षण को नजरअंदाज कर रहे हैं. बस्तर संभाग में पिछले पांच साल में 733 से ज्यादा लोगों की जान टीबी से जा चुकी है. मरने वाले में जवानों की संख्या ज्यादा है.
जानलेवा इस बीमारी से 5 साल में 185 लोगों की मौत जिला क्षय नियंत्रण अधिकारी डॉ. नारायण मैत्री ने बताया कि टीबी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. दो हफ्तों से ज्यादा खांसी का रहना फेफड़े में टीबी का लक्षण है. इसके अन्य लक्षण में खांसी में खून आना, भूख कम लगना, वजन कम होने लगना, बुखार आना, शाम को बुखार बढ़ जाना, पसीना आना, छोटे बच्चे का विकास रुक जाना जैसे लक्षण शामिल हैं.
5 सालों में 185 लोगों की टीबी से मौत
बस्तर में इस बीमारी से मौत का कारण यहां के लोगों की उदासीनता और लक्षणों को गंभीरता से न लेकर समय पर जांच न कराना है. बस्तर जिले में बीते 5 सालों में 185 लोगों की मौत टीबी से हो चुकी है. जिला अधिकारी ने कहा कि इसके रोकथाम के लिए इस बीमारी का इलाज मुफ्त में किया जा रहा है. साथ ही बस्तर संभाग के सभी जिले के स्वास्थ्य विभाग की टीम को टीबी से पीड़ित मरीजों के घर जाकर दवा उपलब्ध कराने को कहा गया है.
साल 2023 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य
देश में टीबी के बढ़ते आकड़ें को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जड़ से खत्म करने के लिए मिशन मोड पर काम करने की जरूरत बताते हुए 2025 का लक्ष्य रखा है. वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ से इस बीमारी को खत्म करने के लिए 2023 का लक्ष्य रखा है.