जगदलपुर: कहते हैं खूबसूरती में चार चांद तब लगता है, जब उसकी तारीफ करने वाले हों, क्योंकि बिना तारीफ के खूबसूरती भी फीकी पड़ने लगती है. ऐसा ही कुछ हो रहा है देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात के साथ. दरअसल बस्तर में मानसून की दस्तक के साथ ही चित्रकोट जलप्रपात अपने पूरे शबाब पर है और इसकी खूबसूरती इन दिनों देखते ही बन रही है. इस खूबसूरत जलप्रपात को इंतजार है निहारती आंखों का, जो इस जलप्रपात को देख मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, लेकिन इस समय चित्रकोट जलप्रपात की खूबसूरती पर भी कोरोना की काली परछाईं पड़ गई है. जिसके कारण बिना सैलानियों के चित्रकोट सूना पड़ा हुआ है.
कोरोना के कारण बस्तर के सारे पर्यटन स्थल बंद
देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात इन दिनों अपनी खूबसूरती की छटा बिखेरता हुआ नजर आ रहा है. लगभग 95 फीट की ऊंचाई से गिरता यह जलप्रपात इस समय खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, लेकिन बस्तर के इतिहास में यह पहला मौका है जब मानसून काल में इस खूबसूरत जलप्रपात को निहारने आने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों को यहां आने के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है. दरअसल देश में फैली कोरोना महामारी की वजह से बस्तर जिले के सभी पर्यटन स्थलों को शासन ने बंद करने का आदेश दिया है. जिसकी वजह से हर साल मानसून में हजारों पर्यटकों से गुलजार रहने वाला चित्रकोट जलप्रपात इस समय अकेले ही कल-कल बहता जा रहा है, लेकिन उसकी अठखेलियां देखने कोई भी नहीं पहुंच रहा है.
छोटे-छोटे दुकानदारों की छिनी रोजी-रोटी
अमूमन हर साल बरसात के मौसम में हजारों देशी-विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहने वाला मिनी नियाग्रा पिछले 4 महीनों से खाली पड़ा है. जिससे इस जलप्रपात के सहारे अपनी जिंदगी गुजारने वाले सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है. इन पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने से इसका सबसे ज्यादा नुकसान यहां के फुटकर व्यापारियों को हुआ है. आसपास के गांव वाले इस पर्यटन स्थल पर अपनी छोटी-छोटी खाने-पीने की और अन्य बस्तर की कला से संबंधित दुकानें लगाते हैं, लेकिन पिछले 4 महीनों से शासन ने उनके सभी दुकानों को बंद करने के आदेश दे दिए. जिससे इन्हें आर्थिक तंगी के दौर से गुजरना पड़ रहा है.