छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

SPECIAL: बस्तर दशहरा की रस्म बाहर रैनी, राजा पहुंचे प्रजा के बीच, मान मनौव्वल के बाद वापस लाया गया रथ

विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा में मंगलवार को बाहर रैनी की रस्म निभाई गई. इस दौरान राजा ने माड़िया जाति के ग्रामीणों से रथ को छुड़ाया. साथ ही राजा ने ग्रामीणों से साथ बैठकर नवाखानी खीर भी खाई.

bahar-raini-ritual-of-bastar-dussehra
रथ परिक्रमा की रस्म हूई पूरी

By

Published : Oct 28, 2020, 1:19 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व में मंगलवार को दशहरा की प्रसिद्ध रस्म रथ परिक्रमा का समापन हुआ. रथ परिक्रमा के आखिरी रस्म "बाहर रैनी" के तहत माड़िया जनजाति के ग्रामीण परंपरा के मुताबिक 8 पहिए वाले रथ को चुराकर कुम्हड़ाकोट जंगल ले जाते हैं. जिसके बाद राज परिवार के सदस्य कुम्हड़ाकोट पहुंचकर ग्रामीणों को मनाकर और उनके साथ नए चावल से बने खीर नवाखानी खाई, उसके बाद रथ को वापस शाही अंदाज में राजमहल लाया गया. इस रस्म में शामिल होने के लिए बस्तर के राजकुमार समेत दशहरा समिति के सदस्य, सांसद और अध्यक्ष दीपक बैज समेत मांझी, चालकी और स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद रहे.

रथ परिक्रमा की रस्म हूई पूरी

बस्तर में बड़ा दशहरा, विजयदशमी के एक दिन बाद मनाया जाता है. वहीं भारत के अन्य स्थानों में मनाए जाने वाले दशहरा में रावण दहन के विपरीत बस्तर में दशहरे का पर्व रथ उत्सव के रूप में नजर आता है. किवदंती है कि प्राचीन काल में बस्तर को दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था. जो कि रावण की बहन सूर्पनखा की नगरी थी. इसके अलावा मां दुर्गा ने बस्तर में ही भस्मासुर का वध किया था. जो कि काली माता का एक रूप हैं. इसलिए यहां रावण का दहन नहीं किया जाता. बल्कि बड़ा रथ चलाया जाता है. इस रस्म को बाहर रैनी रस्म कहा जाता है. इस रस्म में बस्तर संभाग के असंख्य देवी देवता के छत्र-डोली इस रस्म में शामिल होते हैं. बस्तर के राजा पुरषोत्तम देव ने जगन्नाथपुरी से रथपति की उपाधि ग्रहण करने के बाद बस्तर में दशहरे के अवसर पर रथ परिक्रमा की प्रथा आरंभ की थी. जो कि आज तक अनवरत चली आ रही है.

ग्रामीणों को मनाने जाते राजा

मंदिर से चोरी करते हैं रथ

10 दिनों तक चलने वाले रथ परिक्रमा में विजयदशमी के दिन भीतर रैनी की रस्म पूरी की जाती है. जिसमें परंपरा के मुताबिक माड़िया जाति के ग्रामीण शहर के बीच स्थित सिरहसार भवन से आधी रात को रथ चुराकर मंदिर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुम्हड़ाकोट जगंल ले जाते हैं. इसके बाद विजयदशमी के दूसरे दिन बाहर रैनी की रस्म पूरी की गई. जिसमें बस्तर राजपरिवार के राजकुमार कमलचंद भंजदेव शाही अंदाज में घोड़े में सवार होकर कुम्हड़ाकोट पहुंचते हैं. यहां वे ग्रामीणों के साथ नए चावल से बनी नवाखानी खीर खाते हैं. जिसके बाद राज परिवार की ओर से ग्रामीणों को समझा-बुझाकर रथ को वापस शहर लाया जाता है. रथ को इस तरह वापस लाना बाहर रैनी रस्म कहलाता है और इस रस्म के बाद विश्व प्रसिद्ध रथ परिक्रमा रस्म का समापन होता है.

रथ वापस ले जाते ग्रामीण

बस्तर दशहरा: देर रात अदा की गई 'भीतर रैनी' की रस्म, इस रस्म की ये है खासियत

राजा रूद्रप्रताप देव ने की थी रस्म की शुरूआत

जानकार बताते हैं कि बस्तर में मनाए जाने वाले दशहरा में रावण दहन नहीं बल्कि बस्तर की मावली माता और दंतेश्वरी माता 2 देवियों की दशहरा मनाई जाती है. नवरात्रि के पूरे 9 दिन, दशहरा और एकादशी के दिन भी अतद्भूत रस्मों की अदायगी इस दशहरा पर्व के दौरान की जाती है. कोंडागांव से पहुंचे माझी मुखिया गंगाराम बताते हैं कि बस्तर में राजा रूद्र प्रताप देव के शासनकाल से अब तक 600 ई.में 540 राजाओं ने बस्तर दशहरा के इन सभी अद्भुत और महत्वपूर्ण रस्मों को विधि विधान से पूरा किया है. आज भी बस्तर के राजकुमार की मौजूदगी में दशहरा के सभी रस्मों को विधि विधान से पूरा किया जाता है.

शाही अंदाज में निकले राजा

रथ को दी गई सलामी

माझी बताते हैं कि बाहर रैनी रस्म को नवाखानी पर्व भी कहा जाता है. जिसमें बस्तर के राजकुमार कुम्हड़ाकोट पहुंचकर जमीन में बैठकर ग्रामीणों के साथ नवाखानी खाते हैं. इससे पहले मावली माता और दंतेश्वरी माता के छत्र की पूजा अर्चना भी करते हैं. विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के इस आखिरी रस्म को देखने हर साल लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है. दूर दराज से पहुंचे आंगादेव और देवी-देवताओं की डोली भी इस रस्म अदायगी में कुम्हड़ाकोट पहुंचती है और जहां से सभी नवाखानी खाकर रथ को वापस दंतेश्वरी मंदिर परिसर में पहुंचाते हैं. इस दौरान बाकायदा माता के छत्र को रथारूढ़ करने से पहले पुलिस के जवान बंदूक से फायर कर 3 बार सलामी भी दी जाती है. इधर इस अनूठी रस्म को देखने कोरोना महामारी के बावजूद भी बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु मौजूद रहे. साथ ही पुलिस बल को भी तैनात किया गया था.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details