गौरेला पेंड्रा मरवाही : इंसान की जिंदगी की कीमत कितनी होती है.ये कोई नहीं बता सकता.लेकिन गौरेला पेंड्रा मरवाही के झोलाछाप डॉक्टरों के लिए इंसानी जिंदगी की कीमत तय है.इंसानी शरीर के बीमार पड़ने पर ये झोलाछाप डॉक्टर बिना किसी टेस्ट और एक्सपीरियंस के अपने दो कौड़ी का इलाज शुरू करते हैं. इंसान रिकवर हुआ तो सब ठीक और यदि केस बिगड़ा तो चुपचाप पैसे देकर मामला रफा दफा कर दो.ऐसा ही एक मामला गौरेला ब्लॉक के ठेंगाडांड गांव में देखने को मिला.जहां झोलाछाप डॉक्टर ने एक हंसते खेलते परिवार का चिराग चंद पैसों के लिए बुझा दिया.
झोलाछाप डॉक्टर कर रहे जान से खिलवाड़ : सरकार गांव-गांव में प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यम से इलाज करने का दावा करती है.लेकिन जमीनी हकीकत इससे परे है. क्योंकि लगभग हर गांव में झोलाछाप डॉक्टर कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं.जिनके लिए पैसा कमाना ही लक्ष्य है.फिर चाहे कोई बचे या मरे.गौरेला ब्लॉक के ठेंगाडांड गांव में मंगल सिंह राठौर का परिवार अब भी गमजदा है.क्योंकि घर का बच्चा अंकुश अब इस दुनिया में नहीं रहा.23 अक्टूबर को रात ढाई बजे अंकुश को बुखार आया.अगले दिन मंगल सिंह अपने बच्चे को खोडरी गांव लेकर गए.जहां यमराज रूपी झोलाछाप डॉक्टर राम सिंह राठौर ने अपनी दुकान खोल रखी थी.
गलत इलाज से मौत :झोलाछाप डॉक्टरराम सिंह राठौर ने बच्चे को बिना चेक किए एंटीबायोटिक इंजेक्शन मोनोसेफ 500 की डोज दे दी.इसके बाद बच्चे की हालत और खराब हुई. इसके बाद डॉक्टर ने और इंजेक्शन डेकसोना बच्चे को लगा दिया.जब इससे भी बच्चा ठीक नहीं हुआ.तो उसे डिप चढ़ा दी गई.आखिरकार दवा की ओवर डोज बच्चा सहन नहीं कर सका और उसका शरीर ठंडा पड़ गया.इसके बाद झोलाछाप डॉक्टर खुद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बच्चे को लेकर गया,जहां डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया.