गौरेला पेंड्रा मरवाही:जिले में कम बारिश से किसान परेशान हैं. किसानों ने धान की रोपाई तो कर दी है लेकिन अच्छी बारिश नहीं होने से खेतों में दरारें पड़ गई है. जिन खेतों में पानी के लिए मोटर पंप लगे हैं उन खेतों में धान की फसल की हालत ठीक दिख रही है लेकिन जो किसान बारिश के भरोसे हैं वे सिर पकड़ कर बैठे हुए हैं.
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां कुल कृषि रकबे के 88 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्र में सिर्फ धान की फसल पैदा की जाती है. इसके साथ ही धान की लगभग 20000 से ज्यादा किस्मों का उत्पादन यहां के अलग अलग क्षेत्र में होता है. लेकिन हो सकता है कि इस बार छत्तीसगढ़ से धान का कटोरा का तमगा छिन जाए. इसकी वजह है कि प्रदेश के कई जिलों में अब तक धान की ठीक से रोपाई भी नहीं हो सकी है. कुछ क्षेत्रों में रोपाई हुई लेकिन बारिश नहीं होने से खेत सूखने लगे हैं.
खेतों में पड़ी दरारें:ऐसा ही हाल गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में भी देखने को मिल रहा है. 23 जून को प्रदेश में मानसून सक्रिय होने के बाद गौरेला पेंड्रा मरवाही में भी अच्छी बारिश हुई. बारिश शुरू होते ही किसान भी काम में जुट गए. धान का थरहा तैयार किया गया. खेतों में बुवाई शुरू हुई. मानसून आने के बाद अच्छी बारिश से खेत में पानी भरा हुआ था. बुवाई के बाद थरहा भी मजबूती से खड़ा हो गया. लेकिन बीते 15 दिनों से जिले में बारिश नहीं हुई, जिससे अब धान के खेतों में दरारें पड़ गई है.
कितनी हुई बारिश:जिलाकृषि विभाग के मुताबिक इस साल जुलाई तक 310 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है जबकि साल 2022 में जुलाई महीने के आखिर तक 512 मिलीमीटर बारिश हुई थी. बीते साल से 195 मिलीमीटर कम बारिश हुई है. यानी पिछले साल के मुकाबले इस साल 38 प्रतिशत कम बारिश हुई हैं.
धान की फसल का लक्ष्य नहीं हुआ पूरा: कृषि विभाग ने इस साल 51700 हेक्टेयर में धान की फसल का लक्ष्य निर्धारित किया था. 35670 हेक्टेयर में रोपा लग चुका है. कम बारिश की वजह से लगभग 16030 हेक्टेयर में धान की बुवाई बाकी है.
बारिश के इस अंतर से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान कितने परेशान होंगे. किसानों का कहना है कि बारिश नहीं होने से गहरे खेतों में ही रोपाई और बुवाई हो पाई है. कम गहरे खेतों में किसान जोताई करके खेत तैयार करके बारिश का इंतजार कर रहे हैं.