गरियाबंद: नदी को जीवनदायनी कहा जाता है. हमारे मुल्क में तो इसे ईश्वर का दर्जा दिया गया है. लेकिन जिंदगी देने वाली नदी जब अपना इरादा बदल लेती है तो इसका अंजाम क्या होता उसे भला देवभोग के 17 गांव के किसानों से बेहतर और कौन बता सकता है.
तेल नदी के किनारे बसे करीब 17 गांव इन दिनों एक अजीब लेकिन खौफनाक समस्या से जूझ रहे हैं. दरअसल नदी किनारे बसे होने की वजह से इन गांवों में जमीन का कटाव बेहद ही तेजी से हो रहा है और इसकी वजह से यहां के किसानों की पूंजी उनकी जमीन नदी में समाती जा रही है.
सिस्टम से गुहार
जो जमीन थी उसे तो नदी ने अपने आगोश में ले लिया. पीड़ित किसानों ने सिस्टम से गुहार लगाई, लेकिन उसके नुमाइंदों के कान में न जाने कौन सा मर्ज हुआ कि, उन तक आवाम की आवाज का पहुंचना मुश्किल हो गया है. पहले कुदरत की मार और फिर सिस्टम के तिरस्कार का नतीजा यह हुआ कि जो कभी अच्छे खासे असामी हुआ करते थे, इलाके में जिनके नाम का डंका बजता था, उन्हें पेट पालने के लिए दूसरे राज्य में मजदूरी करनी पड़ रही है.