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राजिम पुन्नी मेले के समापन के बाद साधुओं ने खोला राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा, ये है वजह

साधु संतों ने शनिवार को मेला स्थल में प्रदेश सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए जमकर नारेबाजी और हंगामा किया. हंगामे का कारण शासन की ओर दी जा रही विदाई राशि और मेले के समाप्त होने के बाद से साधुओं की सुविधाओं मे बरती जा रही लापरवाही को माना जा रहा है.

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Published : Feb 23, 2020, 7:56 AM IST

राजिम मेले की समाप्ति के बाद साधुओं ने मचाया हंगामा
राजिम मेले की समाप्ति के बाद साधुओं ने मचाया हंगामा

गरियाबंद: 21 फरवरी को समाप्त हुए राजिम माघी पुन्नी मेला में आमंत्रित साधु संतों ने शनिवार को मेला स्थल पर प्रदेश सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए जमकर नारेबाजी और हंगामा किया.

राजिम मेले की समाप्ति के बाद साधुओं ने मचाया हंगामा

दरअसल, राजिम माघी पुन्नी मेले के संत समागम में आमंत्रित होने वाले पूरे देश से आए हुए साधुओं ने विदाई के समय जमकर हंगामा किया. हंगामे का कारण शासन की ओर से दी जा रही विदाई राशि और मेले के समाप्त होने के बाद से साधुओं की सुविधाओं मे बरती जा रही लापरवाही को माना जा रहा है.

क्यों हुआ हंगामा

साधुओं का कहना था कि पूर्व की सरकार विदाई राशि के रूप में सम्मान जनक राशि देती थी, लेकिन प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार महज 2 सौ रुपए की विदाई दे रही है, जो कि उनके वापस जाने के लिए ट्रेन के टिकट की कीमत से भी बहुत कम है.

सुविधाओं में लापरवाही

साधुओं की मानें तो मेला समाप्त होने के बाद प्रशासन उनके साथ अजनबियों जैसी व्यवहार कर रहा है. उन्हें शनिवार को पूरे दिन खाने को भी नहीं दिया गया. साधुओं के हंगामे की सूचना मिलते ही मेले की सुरक्षा व्यवस्था में लगे अधिकारी संत समागम क्षेत्र पहुंच गए और साधुओं की उपस्थिति में उनके प्रमुखों से बात की.

इस साल का बजट कम

अधिकारियों का कहना है कि अन्य सालों की तुलना में इस साल शासन ने मेले के बजट को कई गुना कम किया है. उसके कारण पूर्व वर्षों की तरह इस वर्ष विदाई राशि दिया जाना संभव नहीं है.

साधु अपनी मांग पर अड़े

साधु सम्मानजनक विदाई राशि लेने की मांग पर अड़ गए हैं. साथ ही चेतावनी दी है कि जब तक उन्हें सम्मानजनक राशि नहीं दी जाएगी, तब तक वे मेला क्षेत्र छोड़कर नहीं जाएंगे. कुछ साधु संतों का यह भी कहना है कि उन्हें आकर्षण और भव्यता के लिए बुलाया जाता है वहीं मतलब निकल जाने के बाद उनकी कोई पूछ परख भी नहीं होती.

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