गरियाबंद: ढाई महीने की मासूम रवीना (raveena) का दर्द जानकर आप का भी दिल पसीज जाएगा. इस बच्ची को एक ऐसी बीमारी ने घेर रखा है जिसका नाम तक किसी को नहीं पता. बच्ची को कंजनाइटल (congenital disease) और हाइड्रोसिफेलस (hydrocephalus disease) नाम की दो बीमारियां हैं. बच्ची के शरीर पर जन्म से ही कई जगह जख्म की तरह काले-काले निशान हैं. इस रोग की वजह से बच्ची ठीक से सो भी नहीं पाती. पीठ में ये घाव होने के कारण बच्ची सीधा लेट भी नहीं पाती है. उसे काफी तकलीफ होती है.
दूसरी बीमारी हाइड्रोसिफेलस (hydrocephalus disease) के कारण बच्ची का सिर बड़ा होता जा रहा है. उसमें पानी भरता जा रहा है. इस पर और बड़ी समस्या ये है कि बच्ची के जन्म के बाद से बढ़े हुए कोरोना के आंकड़ों के चलते बच्ची के माता-पिता इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं. उसे कोरोना के डर से इलाज कराने कहीं ले भी नहीं जा पा रहे हैं. उन्हें डर है कि कहीं बाहरी व्यक्तियों से मिलने पर, अस्पताल जाने पर उन्हें भी कोरोना न हो जाए. बच्ची के लिए इलाज का ये प्रयास और घातक साबित न हो जाए. बच्ची की स्थिति को देखते हुए गरियाबंद के जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने इसकी इलाज की पूरी व्यवस्था करने की जिम्मेदारी उठाई है. उन्होंने कहा है कि शासन से इलाज करवाएंगे. यदि दिक्कत आती है तो वह अपने पास से भी रुपए खर्च करने में पीछे नहीं हटेंगे.
अनजान बीमारी का दर्द: दिनभर रोती रहती है गरियाबंद की ये मासूम
कोरोना ने रोका इलाज
पैदा होने पर बच्ची काफी देर तक रोती रही. जो सामान्य नवजात बच्चे भी रोते हैं. लेकिन इस बच्ची के शरीर पर काले जख्म जैसे निशान इसे परेशान कर रहे थे. बच्ची को सीधा लिटाने पर और रोने लगी. बच्ची का ये निशान सामान्य बिल्कुल नहीं लग रहा था. मां-बाप, मितानिन हर कोई इसे लेकर चिंतित हो गया. परिजन इसे अस्पताल ले जाना चाहते थे. लेकिन कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के चलते परिजनों ने कुछ दिन इंतजार करने का फैसला लिया. इसके बाद कोरोना वायरस के आंकड़े कम होने की बजाय और बढ़ते चले गए. जिससे बच्ची को अब तक इलाज नहीं मिल पाया है. अब परिवार बच्ची के इलाज के लिए मदद की गुहार लगा रहा है.
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