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हाइड्रोसिफेलस बीमारी की शिकार हुई गरियाबंद की रवीना, परिवार ने लगाई मदद की गुहार - hydrocephalus symptoms

गरियाबंद की रवीना हाइड्रोसिफेलस (hydrocephalus disease) और जन्मजात रोग (congenital disease) बीमारी से जूझ रही है. बच्ची जन्म से ही इस दर्द और बीमारी(congenital disease) को झेल रही है. रवीना के माता पिता के पास इतने पैसे नहीं है कि वह इसका इलाज करा सके. उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

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हाइड्रोसिफेलस बीमारी से जूझती बच्ची

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Published : May 28, 2021, 10:32 PM IST

गरियाबंद: ढाई महीने की मासूम रवीना (raveena) का दर्द जानकर आप का भी दिल पसीज जाएगा. इस बच्ची को एक ऐसी बीमारी ने घेर रखा है जिसका नाम तक किसी को नहीं पता. बच्ची को कंजनाइटल (congenital disease) और हाइड्रोसिफेलस (hydrocephalus disease) नाम की दो बीमारियां हैं. बच्ची के शरीर पर जन्म से ही कई जगह जख्म की तरह काले-काले निशान हैं. इस रोग की वजह से बच्ची ठीक से सो भी नहीं पाती. पीठ में ये घाव होने के कारण बच्ची सीधा लेट भी नहीं पाती है. उसे काफी तकलीफ होती है.

हाइड्रोसिफेलस बीमारी की शिकार हुई गरियाबंद की रवीना

दूसरी बीमारी हाइड्रोसिफेलस (hydrocephalus disease) के कारण बच्ची का सिर बड़ा होता जा रहा है. उसमें पानी भरता जा रहा है. इस पर और बड़ी समस्या ये है कि बच्ची के जन्म के बाद से बढ़े हुए कोरोना के आंकड़ों के चलते बच्ची के माता-पिता इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं. उसे कोरोना के डर से इलाज कराने कहीं ले भी नहीं जा पा रहे हैं. उन्हें डर है कि कहीं बाहरी व्यक्तियों से मिलने पर, अस्पताल जाने पर उन्हें भी कोरोना न हो जाए. बच्ची के लिए इलाज का ये प्रयास और घातक साबित न हो जाए. बच्ची की स्थिति को देखते हुए गरियाबंद के जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने इसकी इलाज की पूरी व्यवस्था करने की जिम्मेदारी उठाई है. उन्होंने कहा है कि शासन से इलाज करवाएंगे. यदि दिक्कत आती है तो वह अपने पास से भी रुपए खर्च करने में पीछे नहीं हटेंगे.

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कोरोना ने रोका इलाज

पैदा होने पर बच्ची काफी देर तक रोती रही. जो सामान्य नवजात बच्चे भी रोते हैं. लेकिन इस बच्ची के शरीर पर काले जख्म जैसे निशान इसे परेशान कर रहे थे. बच्ची को सीधा लिटाने पर और रोने लगी. बच्ची का ये निशान सामान्य बिल्कुल नहीं लग रहा था. मां-बाप, मितानिन हर कोई इसे लेकर चिंतित हो गया. परिजन इसे अस्पताल ले जाना चाहते थे. लेकिन कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के चलते परिजनों ने कुछ दिन इंतजार करने का फैसला लिया. इसके बाद कोरोना वायरस के आंकड़े कम होने की बजाय और बढ़ते चले गए. जिससे बच्ची को अब तक इलाज नहीं मिल पाया है. अब परिवार बच्ची के इलाज के लिए मदद की गुहार लगा रहा है.

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डॉक्टर्स को नहीं समझ आ रही यह बीमारी

जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने बच्ची और उसके जख्मों की फोटो ली. कई चिकित्सकों के पास भेजी. लेकिन ज्यादातर डॉक्टर्स इस बीमारी का नाम नहीं बता पाए. उसके बाद संजय नेताम ने इस समस्या को लेकर जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. नवरत्न से चर्चा की. उन्हें परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति के बारे में बताया. इसके बाद जिला चिकित्सा अधिकारी ने बच्ची को दो प्रकार की बीमारी होने की बात कही. पहली कंजनाइटल एनमिलिस. जो गंभीर चर्म रोग की श्रेणी में आता है. दूसरी बीमारी हाइड्रोसिफेलस, जिसमें सर बड़ा हो जाता है और उसमें पानी भरने लगता है. ये सुनककर नेताम ने परिवार को हर संभव मदद दिलाने और बच्ची के इलाज की व्यवस्था करने की बात कही. इन सबके बीच बच्ची की बीमारी गांव वालों के लिए अभी भी आश्चर्य का विषय है. दिन भर तड़पती बच्चों को देखकर न सिर्फ माता-पिता बल्कि उसे देखने वाले ग्रामीणों का भी दिल पसीज जाता है.

इलाज के लिए ले जाना होगा रायपुर

बच्ची की दोनों बीमारियां गंभीर किस्म की है. गरियाबंद में उनका इलाज संभव नहीं है. रायपुर एम्स हॉस्पिटल में ही इसका इलाज हो सकता है. बच्ची और उसके परिजनों को इलाज के लिए रायपुर भेजने की व्यवस्था करवाने की जिम्मेदारी खुद जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने उठाई है. उन्होंने कहा कि गरीब मजदूर की बेटी को हर संभव मदद पहुंचाने का प्रयास करूंगा. शासन-प्रशासन से जहां तक हो सके मदद करवाउंगा.

अपनी बदहाली पर आंसू बहाता गांव

गरियाबंद जिले के अंतिम छोर पर बसा झोलाराव गांव (Jholarao Village), इस गांव की बदनसीबी ये है कि ये वन ग्राम है. यहां पक्की सड़क तक नहीं है. किसी के बीमार पड़ने पर बुलाने पर एंबुलेंस या महतारी एक्सप्रेस भी यहां तक नहीं पहुंच पाती. 3 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत मुख्यालय गौरगांव तक बीमार को कभी खाट पर तो कभी किसी और व्यवस्था से ले जाना पड़ता है.

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