गरियाबंद: महानदी के एनीकेट और पुल के बीच में जमा पानी और गंदगी की वजह से यहां के लोग इसकी की दुर्दशा देखकर खासे दुखी है. इसके पीछे की वजह यह है कि नदी में मौजूद जलकुंभी लगातार बढ़ रही है.
मंत्री के निर्देश का नहीं हुआ पालन
राजिम माघी पुन्नी मेला की समाप्ति के बाद नदी की सफाई के लिए संस्कृति मंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया था, लेकिन मंत्री की बात अनसुनी कर दी गई.
पानी से आ रही बदबू
धीरे-धीरे नदी में गंदगी बढ़ती चली गई और नदी के पानी से बदबू आनी शुरू हो गई. आलम यह है कि इसका पानी पीने के लायक भी नहीं बचा है. वहीं बाहर से लोग जो अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं, नदी की हालत देख कर वे स्थानीय प्रशासन को भी कोसने से नहीं चूकते.
एनीकट हुआ बेकार
करोड़ों की लागत से बनाया गया राजिम का एनीकट बेकार हो गया. नगर की जनता अब इसे बेकार मानती है. क्योंकि जिस उद्देश्य को लेकर इस एनीकट का निर्माण किया गया था वह अब लोगों को मुंगेरी लाल के सपने की तरह लगने लगा है.
नदी में नहाने से हो रही बीमारी
नदी में नहाने से लोगों को खुजली की बीमारी होने लगी है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि एनीकेट के नीचे कचरे का भंडार लगा हुआ है जोकि इस जीवन दायिनी नदी के लिए काफी घातक होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी भी है.
नदी में इकट्ठा होता है गंदा पानी
शहर की नालियों का सारा गंदा पानी यहीं पर आकर इकट्ठा होता है. वहीं इसके निचले इलाके में रहने वाले लोग चर्म रोग के साथ-साथ दूसरी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं.
नगर पालिका प्रबंधन की लापरवाही
महानदी को गंदा करने के लिए काफी हद तक नगर पालिका प्रबंधन जिम्मेदार है. शहर की गंदी नालियों के काले और खराब हो चुके पानी को नदी में छोड़ा जा रहा है.
खोखला हो रहा मंदिर का हिस्सा
महानदी की दुर्दशा की वजह से यहां मौजूद मंदिर भी खतरे में है बाढ़ के पानी की वजह से घोटिया मंदिर के नीचे का हिस्सा खोखला हो चुका है. हालात यह है कि मंदिर कभी भी धराशाई हो सकता है शहर के लोगों ने मंदिर को बचाए रखने इस स्थान पर फीलिंग कर पिचिंग करने की मांग की है.