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मिथलेश के साथ खत्म हुआ छत्तीसगढ़ी कला जगत का एक अध्याय - singer

राजकीय शिक्षक सम्मान प्राप्त मिथलेश बीते कुछ वक्त से बीमार चल रहे थे. उनके निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, सांसद चुन्नीलाल साहू ने उन्हें श्रधांजलि दी है.

गीतकार मिथलेश साहू.
गीतकार मिथलेश साहू.

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Published : Dec 17, 2019, 7:21 AM IST

गरियाबंद: छत्तीसगढ़ी कला जगत का एक और अध्याय संगीतकार, शिक्षक और लेखक मिथलेश साहू के निधन के साथ ही खत्म हो गया. 100 से अधिक गीत, नाटक और छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लेखन में बड़ा नाम गरियाबंद के बारूका गांव के रहने वाले मिथलेश साहू की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई.

राजकीय शिक्षक सम्मान प्राप्त मिथलेश बीते कुछ वक्त से बीमार चल रहे थे. उनके निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, सांसद चुन्नीलाल साहू ने उन्हें श्रधांजलि दी है.

मिथलेश ने कुकदा गांव से प्राथमिक शिक्षा लेने के बाद पाण्डुका में 11वीं कक्षा तक की पढ़ाई की. अधिक पढ़ाई के लिए वे रायपुर आ गए. यहां दुर्गा कॉलेज से 1977 में बीए की डिग्री हासिल की. मिथलेश को पहला ब्रेक 1978 में ही मिल गया था. उन्होंने मशहूर छत्तीसगढ़ी गायिका ममता चंद्राकर के साथ रेडिया प्रोग्राम किया. इसके साथ ही उन्होंने दूरदर्शन के साथ भी दिल्ली जा कर कई प्रोग्राम किए.

मिथलेश की फिल्में...
मिथलेश ने 'मया देदे-मया लेले', 'परदेसी के मया', 'तोर मया के मारे', कारी जैसी बहुत सारी फिल्मों में गाना गया. आजा ना गोरी अब झन तरसा, फूल झरे हांसी जैसी कई मशहूर गीतों में भी उन्होंने अपनी आवाज दी है.

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