गरियाबंद: हाथियों का आतंक दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. हाथियों के कई दल अलग-अलग क्षेत्रों में आतंक मचाए हुए हैं. अब तक तो हाथी केवल फसलों को नुकसान पहुंचा रहे थे, लेकिन अब ग्रामीणों के घर भी हाथियों के आतंक से अछूते नहीं हैं. हालात ये हैं कि लोगों को मशाल लेकर फसलों और अपने घरों को बचाने के लिए रतजगा करना पड़ रहा है. साथ ही हाथी अगर गांव की तरफ बढ़े, तो ग्रामीण पटाखे फोड़ कर और मशाल जलाकर उन्हें वापस भगाने की कोशिश कर रहे हैं. वन विभाग भी लगातार हाथियों के इस आतंक को कम करने में लगा हुआ है.
गरियाबंद में हाथियों का आतंक बीते चार-पांच सालों से हाथियों ने गरियाबंद के जंगलों को अपना नया आशियाना बना लिया है. हाथी जंगल तक ही सीमित रहते तो कोई बात नहीं थी. लेकिन बीते 2 साल से हाथी इस जिले में खेतों को नुकसान पहुंचाने लगे हैं. ग्रामीण इसे लेकर खासे परेशान हैं.
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ग्रामीण क्षेत्रों का रुख कर रहा हाथियों का दल
हाथियों का झुंड अब गांव का रुख कर रहा है. हाथी कभी घरों को नुकसान पहुंचाते हैं, तो कभी किसी ग्रामीण को. धबलपुर क्षेत्र में ओडिशा से आया हुआ हाथियों का दल कई खेतों को रौंद चुका है. इस दल के एक हाथी की करंट लगने से मौत भी हो चुकी है. इसी हफ्ते छुरा क्षेत्र के भरुआमुंडा गांव में दतैल हाथी ने तीन दोस्तों पर हमला कर दिया. फिंगेश्वर वन परिक्षेत्र में हाथियों ने कुछ दिन पहले वन विभाग के कर्मचारियों को काफी दूर दौड़ाया भी था.
जंगल में मौजूद हाथियों का झुंड वन विभाग को ठोस कदम उठाने की जरुरत
2 महीने पहले भी गरियाबंद जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर 21 हाथियों के दल ने एक युवक को कुचलकर मार डाला था. आमामोरा में हाथी दल का आतंक ऐसा है कि लोगों को जान बचाने के लिए पक्के मकानों की छतों पर कई रात गुजारनी पड़ रही है. इन सबके बीच वन विभाग को इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है. ताकि लोगों को हाथी और उससे होने वाले नुकसान से बचाया जा सके.