गरियाबंद: किडनी की बीमारी से प्रभावित सुपेबेड़ा गांव की अबतक ना तस्वीर बदली और ना ग्रामीणों की तकदीर बदली है. सुपेबेड़ा में आज भी किडनी की बीमारी से मौतों के सिलसिला जारी है. रविवार को फिर एक किडनी पीड़ित की मौत गरियाबंद में हो गई है. पिछले 6 साल से यहां के 77 लोग किडनी की बीमारी (no arrangement of clean drinking water) से मौत की नींद सो चुके हैं. बीती रात सुपेबेड़ा में पुरेंद्र आडिल (death of purendra adil) ने किडनी की बीमारी से दम तोड़ दिया. जिससे यहां मौत का आंकड़ा बढ़कर 78 हो गया है.
स्वास्थ्य विभाग ने मौत से झाड़ा पल्ला: सुपेबेड़ा गांव के हालात आज भी पूरी तरह ठीक नहीं हो सके हैं. स्वास्थ्य विभाग ने पुरेंद्र आडिल की मौत का ठीकरा पुरेंद्र पर ही फोड़ दिया. हेल्थ डिपार्टमेंट का कहना है कि, यह मौत पुरेंद्र की लापरवाही से हुई है. उसे डायलिसिस की जरूरत थी. लेकिन वह डायलिसिस कराने को तैयार नहीं था. सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. गांव में फैली इस बीमारी की वजह दूषित पानी को बताया जा रहा है. 23 दिसम्बर 2018 को गांव में शुद्ध पेयजल के लिए सरकार द्वारा तेल नदी से एक साल के भीतर पानी लाने की घोषणा की गई. मगर 3 साल बीतने के बाद टेंडर तक जारी नहीं हो पाया.