गरियाबंद: भाजपा ने पूर्व सांसद चंदूलाल को अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा (OBC Front) को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है. पार्टी की ओर से जारी सूची में देश में 7 वरिष्ठ भाजपाइयों को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. इसमें छत्तीसगढ़ से चंदूलाल साहू को शामिल किया गया है. फिलहाल कुछ दिन पहले ही चंदूलाल साहू कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. वे अपना इलाज करा रहे हैं.
रेलवे में नौकरी के साथ की थी कैरियर की शुरुवात
राजीम निवासी चंदूलाल साहू एक कृषक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. 1959 में जन्मे साहू ने रेलवे में नौकरी से अपने कैरियर की शुरुवात की थी. उसके बाद वकालत में हाथ आजमाए. 2003 में अमितेष शुक्ल को हराकर वे पहली बार राजिम विधानसभा से विधायक चुने गए.उसके बाद 2009 में अजीत जोगी को हराकर उन्होंने महासमुंद लोकसभा से विजय हासिल की. 2014 में वे अपने समाज के प्रदेशाध्यक्ष मोतीलाल साहू को हराकर दूसरी बार सांसद पहुंचे और 2019 तक इस पद पर रहे.
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संगठन से सत्ता तक का सफर
चंदूलाल साहू ने कभी पार्टी के फैसले का विरोध नहीं किया. फिर चाहे बात 2003 में अमितेष शुक्ल के सामने अंतिम वक्त पर उन्हें कमजोर प्रत्याशी के रूप में उतारने की बात हो. या फिर 2008 में उन्हें विधानसभा का टिकट ना देने की बात की हो. चंदूलाल ने हमेशा पार्टी के फैसले का सम्मान किया. पार्टी की उम्मीदों पर खरे भी उतरे. वैसे शुरुआत में यह माना जाता था कि चंदूलाल साहू संगठन के व्यक्ति हैं. आरएसएस से उनका पुराना जुड़ाव रहा. जिसके चलते उन्हें 2003 में पहली बार विधानसभा चुनाव का टिकट मिला जिसमें उन्होंने जीत भी दर्ज की थी.
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कई उपलब्धियां इनके नाम
चंदूलाल साहू का राजनीतिक कैरियर फिलहाल भले ही 18 साल का हो. मगर उनके कैरियर में ऐसी कई उपलब्धियां दर्ज है जो बड़े-बड़े नेताओं कोई भी नसीब नहीं होती. शुक्ल परिवार के वारिश को हराने की बात हो या फिर उस समय अजेय माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को धूल चटाने की बात हो. ये ऐसी उपलब्धियां है जिन्होंने उस समय सभी राजनीतिज्ञों को उनकी तरफ आकर्षित करने पर मजबूर कर दिया था. सरल स्वभाव और साफ सुथरी छवि वाले चंदूलाल साहू खुद भी अपने आप को किस्मत का धनी मानते हैं. वे हमेशा कहते हैं आज जो भी है अपनी पार्टी की बदौलत हैं.