Bhuteshwar Mahadev : विश्व का सबसे बड़ा स्वयंभू प्राकृतिक शिवलिंग, भूतेश्वर महादेव की हर साल बढ़ती है ऊंचाई
Bhuteshwar Mahadev छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में भूतेश्वरनाथ महादेव विराजे हैं. यह विश्व का सबसे बड़ा स्वयंभू प्राकृतिक शिवलिंग है. खास बात यह है कि भूतेश्वर महादेव की हर साल ऊंचाई बढ़ रही है.
विश्व का सबसे बड़ा स्वयं भू प्राकृतिक शिवलिंग
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Published : Jul 10, 2023, 4:23 PM IST
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Updated : Jul 10, 2023, 10:17 PM IST
विश्व का सबसे बड़ा स्वयं भू प्राकृतिक शिवलिंग
गरियाबंद :छत्तीसगढ़ में कई शिव मंदिर हैं. लेकिन यदि सबसे अलग शिव मंदिर की बात होती है तो भूतेश्वरनाथ का नाम सबसे पहले आएगा.भूतेश्वर नाथ महादेव जागृत माने गए हैं. क्योंकि साल दर साल यहां स्थापित शिवलिंग का आकार बढ़ता जा रहा है. मौजूदा समय में भूतेश्वरनाथ का आकार 80 फीट तक पहुंच चुका है.यही वजह है कि इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए देश के साथ विदेशी नागरिक भी गरियाबंद पहुंचते हैं.
सावन में उमड़ी भक्तों की भीड़ :सावन के पहले सोमवार पर प्राकृतिक शिवलिंग भूतेश्वरनाथ के दर्शन करने के लिए हजारों की भीड़ पहुंची. सुबह पांच बजे से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगने लगा. इस मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए इस साल समिति ने कई तरह की व्यवस्थाएं की हैं ताकि लोगों को परेशानी ना हो.
ऐसी मान्यता है कि यह शिवलिंग साल दर साल बढ़ रहा है. हर साल महाशिवरात्रि पर जब नाप किया जाता है तो शिवलिंग आधा इंच बढ़ा हुआ मिलता है. इस शिवलिंग को स्वयंभू शिवलिंग भी कहा जाता है. मान्यता अनुसार यह धरती से स्वयं प्रकट हुआ है.- विंदेश्वर कुमार, धार्मिक जानकार
कब हुई थी स्थापना :इस मंदिर की खोज लगभग तीस साल पहले हुई थी, जब चारों तरफ घने जंगल थे. इन घने जंगलों के बीच मौजूद एक छोटे से टीले से, आसपास के गांव वालों को बैल के हुंकारने की आवाज आती थी. लेकिन जब ग्रामीण नजदीक जाते तो उन्हें कोई भी जानवर नहीं दिखता.धीरे धीरे ग्रामीणों की आस्था टीले के प्रति जागृत हुई. सभी लोगों ने टीले को शिव का रूप मानकर पूज करना शुरू किया. आज वही छोटा सा टीला एक विशाल शिवलिंग का आकार ले चुका है.
कितनी है शिवलिंग की ऊंचाई :80 फीट ऊंचा और 290 फीट गोलाई लिए हुए यह विश्व का विशालतम प्राकृतिक शिवलिंग भूतेश्वर नाथ है. 1959 में प्रकाशित कल्याण पुस्तिका में भी इसका उल्लेख है. बताया जाता है कि शिवलिंग जब तीन फीट का था, तब से इसका पूजा पाठ शुरू हुआ. इसके बाद से शिवलिंग का आकार बढ़ने लगा. कई बार शिवलिंग के आकार को नापा जा चुका है. हर बार इसका आकार पिछली बार के मुकाबले ज्यादा होता है.