दुर्ग:महिला पुलिस स्वयं सेविकाएं आज अपने नाम मात्र के वेतन के लिए तरस रही हैं. उन्हें पिछले पांच महीने से मानदेय नहीं मिला है. महिलाओं ने जल्द वेतन देने और वेतन में वृद्धि की मांग की है.
पिछले पांच महीनों से नहीं मिला मानदेय
नारंगी कलर की साड़ी में ये महिलाएं नगरीय निकाय क्षेत्रों के हर थानों में नजर आती हैं. ये पुलिस तो नहीं लेकिन पुलिस के लिए पिछले साल से कार्य कर रही है. थाने में आने वाले हर अपराधों पर इनकी नजर होती है और ये यथासंभव उन्हें सुलझाने में मदद भी करती हैं. लेकिन अफसोस की इन्हें दिया जाने वाला नाममात्र का मानदेय भी पिछले पांच महिनों से नहीं मिला है. ऐसे में इन्हें परिवार चलाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
महिला स्वयं सेविकाओं को नहीं मिला पिछले पांच महीने का वेतन जल्द वेतन देने के साथ वेतनवृद्धि की मांग
प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार ने इन्हें महिला पुलिस स्वयं सेविका (चेतना) योजना के तहत भर्ती कराया था. महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से इन्हें नियुक्त किया गया है, लेकिन काम ये गृह विभाग से संबंधित कर रही है. महिलाओं के अनुसार महज 1 हजार रुपए प्रतिमाह इन्हें मानदेय दिया जाता है, जो आज के समय में बेहद कम है. महिलाओं का कहना है कि न सिर्फ उन्हें समय पर मानदेय दी जाए बल्कि उसमें वृद्धि भी की जाए.
महिला पुलिस स्वयं सेविकाएं कहलाती हैं ये महिलांए
शहर में ये महिलाएं, महिला पुलिस स्वयं सेविकाएं कहलाती हैं. जिले में करीब 4700 महिलाएं कार्य कर रही हैं. जिन्हें पांच महीने से वेतन नहीं दिया गया है. वहीं जिले के कलेक्टर का कहना है कि महिला स्वयं सेविकाओं को 5 महीने से मनादेय नहीं मिलने की जानकारी मिली है. विभाग से जानकारी लेकर वेतन देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
बहरहाल महिला स्वयं सेविकाएं आज खाली पेट रहकर अपना फर्ज निभा रही हैं. ऐसे में देखना होगा कि ऊंट के मुंह में जीरे के समान मिलने वाला मानदेय उन्हें कब तक मिलता है.