भिलाई:हाइवे पर चंद्रा मौर्या टकिज के सामने बने कॉम्प्लेक्स का विवादों से पुराना नाता लगता है. कॉम्प्लेक्स आबंटन से लेकर निर्माण तक इसपर कई बार विवाद हो चुका है. कॉम्प्लेक्स आबंटन के 20 साल बाद निर्माण की अनुमति निगम से मिल तो गई है, लेकिन निर्माण पूरा होने से पहले एक बार फिर इसपर विवाद शुरू हो गया है. इस बार भिलाई नगर निगम के वार्ड 12 के बीजेपी पार्षद ने इसके निर्माण में धांधली का आरोप लगाया है.
20 साल में भी नहीं बन पाया 3 मंजिला कॉम्प्लेक्स भिलाई नगर निगम के चंद्रा मौर्या के सामने निर्माणाधीन 3 मंजिला कॉम्प्लेक्स 2 दशक से निर्माण पूरा होने की राह देख रहा है. 18 नबंबर 1999 में कॉम्प्लेक्स के लिए भूखंड का आबंटन 4 अलग-अलग लोगों के नाम पर हुआ था. जिसमें विजय गुप्ता, शशि गुप्ता, यशबीर बंसल और मीरा बंसल का नाम शामिल था. भूखंड आबंटन के समय भिलाई नगर निगम साडा के तहत आता था. जिसमें आबंटित जमीन को लेकर शर्त थी कि पट्टा शुरू होने की तारीख से 2 साल के भीतर और अधिकतम 4 साल के अंदर भवन निर्माण पूर्ण कर लेना है. साथ ही भवन निर्माण पूरा नहीं होने की स्थिति में पट्टा निरस्त कर विशेष शुल्क, सेवा शुल्क के साथ अन्य राशि वापस करना है, लेकिन 20 साल बाद भी कॉम्प्लेक्स का निर्माण नहीं हो सका.
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20 साल तक भवन निर्माण जरूरी अनुमति की फाइल मंत्रालय से कार्यालय तक घूमता रहा. क्योंकि नगर तथा ग्राम निवेश में ये भूमि उद्यान, वृक्षारोपण और पार्किंग के लिए संरक्षित रखा गया था. इस भूखंड पर कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिए हाइवे से उसकी दूरी का मापदंड पूरा नहीं बता रहा था. वहीं भवन निर्माण से जुड़ी फाइलों के साथ एक अजीब इत्तेफाक भी जुड़ा है कि इसका आबंटन कब हस्तांतरण हुआ इसके कोई भी दस्तावेज या मूल नस्ती फाइल में ही नहीं है, कारण पूछने पर निगम के अधिकारी कई बार आग लगने का हवाला देते रहे.
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इस विवादस्पद कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिए अभी 2 महीने पहले भवन अनुज्ञा मिला, जिसके बाद यहां 2 महीनो में तीन मंजिला भवन का निर्माण करा दिया गया. अब भिलाई नगर निगम के 12 वार्ड के पार्षद का कहना है 2014 में हाईकोर्ट के आदेश पर जांच समिति गठित की गई थी, जिसमें निगम के अधिकारी और पार्षद दल ने जांच कर रिपोर्ट दिया था कि उक्त भूमि पर्यावरण के लिए संरक्षित है, और इसके आबंटन को खारिज किया जाना चाहिए. जिसके बाद भूमि के कब्जादारों ने फिर से याचिका लगाई. जिसपर शासन ने आदेश दिया कि सामान्य सभा में अगर यह प्रस्ताव पारित होता है तो अनुमति दी जा सकती है, लेकिन आज तक किसी सामान्य सभा में चर्चा के बिना ही भूखंड पर कॉम्प्लेक्स निर्माण को हरी झंडी मिल गई.