छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

कोविड के HERO: अपना काम बंद हुआ तो दुर्ग के लिए दूत बने प्रवीण, कहा- पैसा नहीं पुण्य कमा रहे

छत्तीसगढ़ में कोरोना का संक्रमण (corona virus) तेजी से बढ़ता जा रहा है. हालात ऐसे हो गए हैं कि कोरोना मरीजों (corona patient) को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस (ambulance) तक नहीं मिल पा रही है. सिस्टम की इस नाकामी की वजह से कई मरीज सड़कों पर ही दम तोड़ने को मजबूर हैं. ऐसे में दुर्ग का एक शख्स सिस्टम से हारे मरीजों को संजीवनी दे रहा है.

praveen butda of durg helping corona patients
कोविड के HERO

By

Published : Apr 20, 2021, 10:42 PM IST

Updated : Apr 21, 2021, 12:07 AM IST

दुर्ग:छत्तीसगढ़ में कोरोना बेकाबू होते जा रहा है. हालात ऐसे हैं कि मरीजों को न तो समय पर ऑक्सीजन मिल पा रहा है और न ही एंबुलेंस. सिस्टम की इस नाकामी की वजह से कई मरीज सड़कों पर ही दम तोड़ने को मजबूर हैं. ऐसे में दुर्ग का एक शख्स सिस्टम से हारे मरीजों को संजीवनी दे रहा है. वह न केवल गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन की सुविधा महैया करा रहा है बल्कि निशुल्क एंबुलेंस भी उपलब्ध कराने में जुटे हैं. दुर्ग के रहने वाले प्रवीण बुतड़ा ने पिछले एक महीने में 200 से ज्यादा मरीजों को ऑक्सीजन और एक हजार से ज्यादा मरीजों को सही समय पर अस्पताल पहुंचा चुके हैं.

कोविड के HERO

कोरोना मरीजों को उपलब्ध करा रहे ऑक्सीजन

प्रवीण बुतड़ा शादी, पार्टी या अन्य समारोह के लिए टेंट की दुकान संचालित करते हैं. लेकिन आज वे कोरोना संक्रमण की चपेट में आए मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं. वे कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध करा रहे हैं.प्रवीण ने ईटीवी भारत को बताया कि इसकी शुरूआत पिछले साल कोरोना काल में बड़े भैया के मार्गदर्शन में की थी. इस दौरान 5 ऑक्सीजन कंसेट्रेटर मशीन खरीदे और उसे मरीजों की सेवा में लगा दिया. इस बार कोरोना की रफ्तार तेज हो गई. मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में हमने 20 नए ऑक्सीजन कंसेट्रेटर मशीन खरीदा और उसे मरीजों की सेवा में लगा दिया है.

कोरोना मरीजों के मदद के लिए एंबुलेंस

HEROS: दोस्त की कार को एबुलेंस बनाया, फ्री में कोरोना मरीजों को पहुंचा रहे अस्पताल

तीन एंबुलेंस भी कर रहे संचालित

प्रवीण कोरोना मरीजों के लिए तीन एंबुलेंस भी संचालित कर रहे हैं. वे बताते हैं कि जब ऑक्सीजन मशीन संचालित कर रहे थे. उसी दौरान पड़ोसी का फोन आया कि एंबुलेंस की जरूरत है. फिर एंबुलेंस के लिए कॉल किया तो चंदुलाल चंद्राकर कोविड केयर सेंटर ले जाने के लिए 4 हजार रुपये कहा, जबकि 500 रुपये किराया है. इसके बाद मैंने सोंचा कि क्यों न मरीजों के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की जाए. फिर अपने दोस्तों के माध्यम से दो गाड़ियां मंगवाई और एक गाड़ी किराये से ली. तीनों गाड़ियों को एंबुलेंस में तब्दील किया. इस तरह तीन एंबुलेंस संचालित हो रही है.

मिशन सेव दुर्ग

ऑफिस का नाम बदलकर मिशन सेवा दुर्ग रखा

दो साल पहले ही वेडिंग कार्पोरेशन के नाम से नया ऑफिस ओपन किया. लेकिन कोरोना काल की वजह से काम बंद पड़ा है. ऐसे में हमने अपने ऑफिस का नाम बदल कर मिशन सेव (SAVE) दुर्ग रख दिया है. हमारे यहां 8 कर्मचारी है. सभी कर्मचारियों को इस काम में लगा दिया गया है. उन्होंने बताया कि जब तक कोरोना रहेगा, तब तक इसी तरह काम करते रहेंगे. क्योंकि भले पैसा नहीं कमा रहे, लेकिन पुण्य कमा रहे हैं. हमारे यहां के दो ड्राइवर कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं. उनकी जगह दूसरे ड्राइवर को लगाया गया है. हमारी तीनों एंबुलेंस दुर्ग-भिलाई के साथ ही रायपुर तक भी मरीजों को ले जा रही है.

भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 70 करोड़ खुराक सालाना की

रोजाना आ रहे दो से ढाई सौ फोन

प्रवीण बताते हैं कि ऑक्सीजन और एंबुलेंस के लिए रोजोना दो से ढाई सौ लोगों का फोन आता है. इनमें से 50 लोगों की ही मदद कर पाते हैं. क्योंकि इससे ज्यादा लोगों की मदद के लिए संसाधन नहीं है. हालांकि अब कुछ लोगों की ओर से हमें मदद मिल रही है. इसके साथ ही रोजोना दो सौ से ढाई सौ लोगों की मदद एंबुलेंस के माध्यम से की जा रही है. वहीं 40 से 50 लोगों की मदद ऑक्सीजन के माध्यम से की जाती है इमरजेंसी केस में किराया से ऑक्सीजन मंगा लेते हैं.

Last Updated : Apr 21, 2021, 12:07 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details