दुर्ग: एक दिवंगत फौजी का परिवार पिछले 46 सालों से अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है. फौजी के परिवार ने भरण-पोषण के लिए अविभाजित मध्य प्रदेश से जो लड़ाई शुरू की वो छत्तीसगढ़ बनने के 20 साल बाद भी जारी है. लेकिन सरकार आज तक जमीन आवंटित नहीं कर पाई है.
कोलकाता में सेना में भर्ती हुए थान सिंह निषाद का निधन 23 जून 1975 को बीमारी से हो गया था. फौजी की मृत्यु के बाद उनके दोनों बेटों सुदर्शन और लक्ष्मण को सरकार की तरफ से घोषित की गई 10 एकड़ जमीन नहीं मिली. उनके बेटे अपने परिवार के साथ किराए के मकान में रहकर मजदूरी करके पेट पाल रहे हैं. अपने हक की जमीन पाने के लिए दिवंगत थान सिंह निषाद के बेटे सुदर्शन और लक्ष्मण निषाद आज भी सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं.
जमीन की मांग को लेकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से कर चुके हैं मुलाकात
सुदर्शन निषाद ने बताया कि वे वर्तमान सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह (Former Chief Minister Raman Singh) से गुहार लगा चुके हैं. मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ बनने तक वे सिर्फ भटक रहे हैं. सुदर्शन ने बताया कि वे तत्कालीन रक्षा मंत्री के सी पंत से भी दिल्ली जा कर मिल चुके हैं. उस दौरान पंत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Former PM Indira Gandhi) की मौजूदगी में उनकी बात सुनी थी. जिसके बाद प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री कार्यालय से रायपुर और दुर्ग कलेक्टर के नाम पत्र जारी किया गया था. लेकिन उसके बावजूद अभी तक दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं.
पूर्व सीएम ने काफिला रोककर की थी मुलाकात
मध्य प्रदेश शासन के दौरान जब तात्कालिक मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह (Chief Minister Arjun Singh) किसी कार्यक्रम में शिकरत करने बिलासपुर जा रहे थे, तब थान सिंह के दोनों बेटे सुदर्शन और लक्ष्मण ने रायपुर से बिलासपुर की तरफ बढ़ते सीएम के काफिले को सिमगा के पहले रोक लिया था. पुलिस ने दोनों की पिटाई भी की थी. उस वक्त अर्जुन सिंह ने गाड़ी से उतरकर दोनों की परेशानी सुनी थी. दोनों ने उनसे जमीन और नौकरी का आग्रह किया था. उस वक्त अजीत जोगी रायपुर के कलेक्टर थे. उन्हें अर्जुन सिंह ने जल्द से जल्द जमीन और नौकरी देने के लिए निर्देशित किया था.