दुर्ग:जिले में ड्रग विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिन दवाईयों को उपयोग से पहले एक निर्धारित तापमान में कोल्ड रूम में रखना अनिवार्य होता है, वही कोल्ड रूम बीते डेढ़ साल से खराब पड़ा है. अधिकारी इन जीवन रक्षक दवाओं को निजी कोल्ड स्टोरेज में रखवा रहे हैं जहां तापमान का कोई मापदंड तय नहीं है.
कबाड़ में बदल सकती है मशीन दरअसल जिले में साल 2016 में करोड़ो रुपए की लागत से एक ड्रग वेयर हाउस निर्माण किया गया था. यहां कुछ महत्वपूर्ण दवाओं को एक निश्चित तापमान में ठंडे स्थान पर रखने के लिए लाखों रुपए खर्च कर कोल्ड स्टोरेज मशीन लगाई गई थी. लेकिन कुछ दिन काम करने के बाद मशीन खराब हो गई.
निजी कोल्ड स्टोरेज का सहारा
कोल्ड स्टोरेज के खराब होने के बाद विभाग ने इसका दूसरा उपाय भी खोज निकाला और निजी कोल्ड स्टोरेज की शरण ले ली. आपको बता दें कि इस ड्रग वेयर हॉउस में दुर्ग जिले के अलावा बेमेतरा और बालोद जिले की भी शासकीय दवाईयों को रखा जा रहा है. इनमें एलोपैथिक, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी दवाएं शामिल हैं.
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी मशीन
ड्रग वेयर हॉउस की प्रभारी महिमा दुबे की मानें तो कोल्ड स्टोरेज महज कुछ महीने चलने के बाद ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और खराब हो गया. इसके चलते विभाग अतिमहत्वपूर्ण दवाओं को निजी कोल्ड स्टोरेज में सुरक्षित रखने की दुहाई दे रहा है. इन दवाओं को रखने की एवज में हर महीने हजारों रुपए किराये के रूप में निजी कोल्ड स्टोरेज को अदा करना पड़ता है.
अधिकारियों ने नहीं किया सुधार
ड्रग वेयर हॉउस की प्रभारी ने कई बार इसकी जानकरी उच्च अधिकारियों को दी. लेकिन इसके बाद भी अभी तक कोल्ड स्टोरेज मशीन में सुधार नहीं किया गया है. मशीन वर्तमान में महज एक आलमारी का काम कर रही है. यदि कोल्ड स्टोरेज को जल्द से जल्द ठीक नहीं किया गया तो वो दिन दूर नहीं जब लाखों की ये मशीन कबाड़ में तब्दील हो जाएगी. जिला ड्रग वेयर हाउस विभाग के पास संसाधन होने के बावजूद निजी कम्पनियों पर जनता का पैसा बेवजह फूंका जा रहा है.