दुर्ग: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. दोषी ने अपनी नाबालिग भतीजी के साथ दुष्कर्म किया था. जिसके बाद कोर्ट ने रामचरितमानस की चौपाई लिखते हुए सजा सुनाई है. साथ ही अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर 2 वर्ष की अतिरिक्त सजा देने का आदेश भी दिया है.
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न्यायाधीश ममता भोजवानी ने दोषी को रामचरित मानस की चौपाई सुनाते हुए सजा दी है. उन्होंने फैसले में लिखा है. अर्जुन वधु भगिनी सतु नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी। इन्हिह कृद्रष्टि विलाकई जोई। ताहि बंघे कछु पाप न होई. न्यायाधीश ने चौपाई का अर्थ बताते हुए कहा कि ये रामचरितमानस के किष्किंधा कांड में बाली वध के संदर्भ में है. इसका आशय है कि छोटे भाई की पत्नी, बहन, बहू और कन्या ये चारों समान हैं. इन पर बुरी नजर रखने वाले का संहार करना जरूरी है.
2019 की है दुष्कर्म की घटना
घटना सुपेला थाना क्षेत्र की है, जिसमें पीड़िता अपनी मां के साथ नानी के घर गई हुई थी. घर के बाहर खेलते समय पीड़िता के मामा ने उसको किसी बहाने से किचन में बुलाया. जिसके बाद मामा ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता इस हरकत के बाद जोर-जोर से रोने लगी. रोने की आवाज सुनकर घर के सभी लोग किचन में पहुंचे. सभी के पूछने पर पीड़िता ने उसके साथ हुई दुष्कर्म की घटना के बारे में बताया. इसके बाद परिजनों ने इस घटना की जानकारी पुलिस की दी. पुलिस ने आरोपी मामा को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया. जांच और सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामा को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.