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Chhattisgarh Assembly Election 2023: क्या गुगली से छिड़ेगा पाटन सीट पर चाचा और भतीजे का चुनावी युद्ध ? 'नो वॉकओवर' पॉलिटिक्स के मायने क्या हैं ? दुर्ग क्षेत्र की नौ विधानसभा सीटों का क्या है लोक-विधान ?

Chhattisgarh Assembly Election 2023 Patan Seat दुर्ग लोकसभा सीट के तहत 9 विधानसभा सीटें आती हैं. इन सीटों के वोटरों ने एक साल के भीतर हुए विधानसभा (2018) और लोकसभा चुनावों (2019) में एकदम विपरीत फैसला दिया. एक में कांग्रेस जीती तो दूसरे में बीजेपी. इतनी जल्दी माइंड बदलने वाले वोटरों को समझने की कोशिश पार्टियां कर रही हैं. इसी वजह से बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है.अपने सांसद को ही विधायक बनाने की सोची है.क्या बीजेपी की ये गुगली कांग्रेस फेस कर पाएगी.कांग्रेस की रणनीति क्या होगी ? लोक-विधान में समझिए दुर्ग लोकसभा सीट का हाल.Patan Seat Congress Bhupesh Baghel Bjp Vijay Baghel Fight

equation of Durg Lok Sabha seat and Patan assembly seat
लोक विधान दुर्ग लोकसभा सीट का समीकरण

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Published : Aug 25, 2023, 8:07 PM IST

Updated : Aug 25, 2023, 11:54 PM IST

रायपुर:लोक-विधान में इस बार खास है दुर्ग लोकसभा सीट. इस लोकसभा सीटे के आईने में नौ विधानसभा सीट आती हैं. यही वो लोकसभा क्षेत्र है, जहां पर बीजेपी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में अपना सबसे बड़ा दांव खेला है. क्षेत्र की पाटन सीट पर जीत, पार्टी के साथ-साथ नेता का कद भी बढ़ाएगी.आखिर बीजेपी ने क्यों 'नो वॉकओवर' पॉलिटिक्स का रूल यहां के लिए अपनाया है. ये सब कुछ दिन में साफ हो जाएगा. तो समझते हैं दुर्ग की लोकसभा सीट के साथ विधानसभा सीटों का लोक-विधान.

बीजेपी की गुगली क्या है ?:दुर्ग लोकसभा सीट के तहत नौ विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें पाटन, दुर्ग ग्रामीण, भिलाई नगर, वैशाली नगर, अहिरवारा, साजा, बेमेतरा और नवागढ़ शामिल हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के विजय बघेल को करीब 28.2 फीसदी के मार्जिन से जीत मिली थी.उन्होंने कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर हो हराया था. राजनीति के जानकार दिवाकर मुक्तिबोध बीजेपी की रणनीति के बारे में बताते हैं,'बीजेपी ने दुर्ग से लोकसभा के सांसद विजय बघेल को पाटन सीट से विधायकी के लिए उतारा है. बीजेपी सीएम भूपेश बघेल को वॉकओवर नहीं देना चाहती.सीएम को वॉकओवर देने का मतलब है, आपने कांग्रेस के मुखिया के सामने सरेंडर कर दिया है'. इस गुगली को कांग्रेस भी गंभीरता से ले रही है. फिलहाल कांग्रेस में मंथन का दौर चल रहा है.ये सोचा जा रहा है कि पाटन सीट का फार्मूला क्या निकाला जाए क्योंकि सीएम भूपेश बूघेल राज्य के नेता है. उनकी जरूरत सभी जगह है.

दुर्ग में सियासी जंग पर कांग्रेस बीजेपी आमने सामने

"राजनीतिक जानकार बाबूलाल शर्मा बताते हैं,'बीजेपी का ये कदम भूपेश बघेल को पाटन क्षेत्र में बांधने की कोशिश के तहत देखा जा सकता है. इसका सफल होना मुश्किल है, क्योंकि भूपेश बघेल अगर पाटन से चुनाव लड़ते हैं तो उनके पास कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है, वे ही काम संभाल लेंगे. भूपेश बघेल को क्षेत्र में ज्यादा जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. विजय बघेल और भूपेश बघेल दोनों परंपरागत प्रतिद्वंदी रहे हैं, इसलिए नया कुछ नहीं है."- बाबूलाल शर्मा, राजनीतिक विश्लेषक

बाबूलाल शर्मा ने आगे कहा कि" ये बात जरूर है कि विजय बघेल को एक उम्मीद दिख रही है. वे ऐसा सोच सकते हैं कि अगर बीजेपी की सरकार बनती है और वे सीएम भूपेश बघेल को हराने में सफल होते हैं तो वे भी सीएम पद के दावेदार हो जाएंगे. पर ये आसान नहीं है. भूपेश बघेल की छवि किसान नेता की है. पिछली बार धान पर 2500 की एमएसपी का दांव कांग्रेस को बहुत आगे ले गया था.' बहरहाल कांग्रेस के मंथन में दोनों नेताओं की पिछली चुनावी टक्करों को ध्यान में रखा जा रहा है. साथ ही, बाबूलाल शर्मा जी ने बताया कि दोनों परंपरागत प्रतिद्वंदी हैं तो इनके पुराने चुनावी युद्ध का डेटा विश्लेषण करते हैं."

दुर्ग लोकसभा सीट और पाटन विधानसभा सीट का समीकरण समझिए



भूपेश बघेल VS विजय बघेल का चुनावी युद्ध :बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल उम्र में सीएम भूपेश बघेल से लगभग 2 साल बड़े हैं. लेकिन रिश्तेदारी या कहें नातेदारी में विजय बघेल छोटे कहलाते हैं. यही वजह है कि भूपेश काका है. विजय बघेल भतीजे हैं. पाटन विधानसभा में काका और भतीजा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. अगर भूपेश बघेल को भी पाटन सीट से कांग्रेस ने उतारा तो भूपेश बघेल और विजय बघेल चौथी बार आमने-सामने होंगे. चुनाव में इतिहास भी बहुत महत्त्व रखता है. इतिहास के परिणामों से भविष्य की इबारत लिखी जा सकती है. ऐसा ही पाटन में करने की कोशिश हो रही है.

भूपेश बघेल और विजय बघेल में कितनी बार हुआ मुकाबला: भूपेश बघेल और विजय बघेल तीन चुनावों में आमने-सामने आ चुके हैं. 2003 में पाटन सीट पर भूपेश बघेल ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा था तो विजय बघेल ने नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से. सीएम भूपेश बघेल और विजय बघेल के बीच क्लोज फाइट हुई थी. भूपेश बघेल इसमें जीते थे. वहीं 2008 में विजय बघेल ने एनसीपी की जगह बीजेपी से चुनाव लड़ा. इस बार वो जीत गए. इस चुनाव में विजय बघेल को करीब 59 हजार वोट मिले तो भूपेश बघेल को करीब 51,158 वोट मिले थे. इसके बाद दोनों की टक्कर 2013 में हुई थी. इस बार वोट ठीक 2008 के उलटे हो गए. यानि भूपेश बघेल को करीब 68 हजार से ज्यादा वोट मिले तो विजय बघेल को 58 हजार से ज्यादा. मतलब इस बार भी फाइट करीब की थी. अब इस बार किसको क्या मिलता है? ये देखना बड़ा रोचक होगा. अगर दोनों राजनेताओं के पिछले रिकार्ड देखे जाएं तो जीत का अंतर बहुत कम है.

पाटन की जंग में कब कब भिड़े भूपेश बघेल और विजय बघेल ?



दुर्ग लोकसभा सीट का 2019 का परिणाम:दुर्ग लोकसभा सीट 1952 के चुनाव में अस्तित्व में आई थी. इसके बाद यहां कांग्रेस का ही राज रहा. जब कांग्रेस के खिलाफ 1977 में हवा चली, तब यहां जनता पार्टी से मोहन जैन चुनाव जीते. यानि करीब 25 साल बाद गैर कांग्रेस सांसद यहां से जीता था. इसके बाद पहले पत्रकार और फिर सांसद बने चंदूलाल चंद्राकर जीतते रहे. बीच में एक बार यहां के वोटरों ने जनता दल को भी जिताया. फिर 1996 से 2009 तक यहां बीजेपी ही जीतती रही. जब 2014 में पीएम मोदी को लेकर पूरे देश में करंट था, तब भी यहां पर कांग्रेस ही जीती थी. बीजेपी की सरोज पांडे हार गई थीं. वे दूसरी बार चुनाव लड़ रही थीं. इसके बाद 2019 में बीजेपी ने सरोज पांडे की जगह विजय बघेल को टिकट दिया और ये प्रयोग सफल रहा. विजय बघेल जीत गए. 2019 की स्थिति में इस सीट पर कुल मतदाता करीब 18 लाख 78 हजार थे. इनमें से करीब साढ़े तेरह लाख से ज्यादा मतदाताओं ने वोट डाला. नोटा में चार हजार से ज्यादा वोट पड़े थे. बीजेपी के विजय बघेल को करीब 8 लाख 49 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. ये करीब 61 फीसदी वोट थे. वहीं प्रतिमा चंद्राकर को 4 लाख 57 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. जो करीब 32 फीसदी थे. बीजेपी साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोट से जीती थी.बीजेपी को ये जीत मतदाताओं ने एक साल के अंतर से ही दे दी. हालांकि ठीक करीब एक साल पहले हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी की बहुत बुरी हार हुई थी. दुर्ग लोकसभा के तहत आने वाली नौ विधानसभा सीटों में से बीजेपी एक ही जीत पाई थी.

दुर्ग लोकसभा सीट का साल 2019 का परिणाम


दुर्ग लोकसभा सीट की नौ विधानसभा सीटों पर 2018 का परिणाम : दुर्ग लोकसभा सीट में नौ विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें पाटन, दुर्ग ग्रामीण, भिलाई नगर, वैशाली नगर, अहिरवार, साजा, बेमेतरा और नवागढ़ हैं. इन सभी सीटों पर 2018 के विधानसभा चुनावों में करीब 18 लाख से ज्यादा वोटर थे. इन सीटों पर बीजेपी को करीब 4 लाख 93 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. कांग्रेस को छह लाख 73 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. जानकारों के अनुसार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को कुल वोटों का 35 फीसदी हिस्सा मिलता है, तब भी वो नौ में से आठ सीट जीत लेती है. केवल वैशाली नगर विधानसभा सीट पर बीजेपी के विद्यारतन भसीन जीते. इनको 72 हजार वोट मिले थे.

इलाके का जातीय समीकरण क्या है ?:डेटा के विश्लेषण से ये बात तो समझ में आ गई कि यहां के मतदाताओं का माइंड सेट एक साल में बदल जाता है.इसके पीछे के क्या कारण हैं? क्या जाति और समाज को देखते हुए वोट दिए जाते हैं ? राजनीतिक पार्टियां वोटरों के समाज और जातियों को ध्यान में रखते हुए यहां प्रत्याशी खड़े करती हैं. दुर्ग के क्षेत्र में खासकर पाटन विधानसभा में कुर्मी, साहू, यादव और सतनामी समाज का जोर है. राजनीति के जानकार दिवाकर मुक्तिबोध बताते हैं,'भूपेश बघेल और विजय बघेल दोनों कुर्मी समाज से आते हैं.दोनों एक ही समाज के हैं तो निश्चित तौर पर कुर्मी वोटों का विभाजन पहले भी हुआ है और आगे भी होगा. यहां साहू समाज के वोटर भी ज्यादा हैं. यही वजह रही कि पिछली बार बीजेपी ने पाटन सीट से मोतीलाल साहू को टिकट दिया था. साहू समाज का वोट उनको मिला भी था. हालांकि मोतीलाल साहू जीत नहीं सके, लेकिन भूपेश बघेल के जीत के अंतर को जरूर कम कर दिया था.' विधानसभा चुनाव में जो प्रत्याशी साहू समाज के वोट खींचने में कामयाब होगा, उसे जीत मिल सकती है.

"2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने मोदी लहर की वजह से जीत दर्ज की थी. विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव दोनों अलग-अलग चीजें हैं. दोनों में जातिगत समीकरण भी अलग-अलग बनते हैं. अगर कोई पार्टी विधानसभा जीत जाती है, तो यह जरूरी नहीं है कि वह लोकसभा भी जीत जाए.' वैसे छत्तीसगढ़ में ये भी देखा गया है कि एससी बहुल इलाके से ब्राह्मण प्रत्याशी जीत जाता है तो बिलासपुर में अग्रवालों की संख्या बहुत अधिक नहीं होने के बाद भी कई चुनावों में अग्रवाल प्रत्याशी बाजी मार लेता है. यहां तक कि मुस्लिम प्रत्याशी भी हिंदु बहुल इलाके से जीत दर्ज करते हैं."- उचित शर्मा, राजनीतिक विश्लेषक




विजय बघेल नौ विधानसभा सीटों पर जीत दिला पाएंगे ? :बीजेपी ने दुर्ग के सांसद को उसी इलाके की विधानसभा सीट पाटन से उम्मीदवार बनाया है. राजनीति के जानकार उचित शर्मा कहते हैं,'बीजेपी को पाटन छोड़कर अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी विजय बघेल के खड़े होने से फायदा होगा.कोशिश लोकसभा सीट निकालने की है. विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी की सभा भी हो सकती है.गृहमंत्री भी आएंगे और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा भी आएंगे. कुल मिलाकर बीजेपी दुर्ग सीट पर विधानसभा चुनाव से ही सेक्टर बना रही है. इसकी वजह से फायदा सभी नौ विधानसभा सीटों पर मिलेगा.' यानि विजय बघेल का असर नौ विधानसभा सीटों पर पड़ सकता है. वहीं दिवाकर मुक्तिबोध ने कहा,'अभी से कुछ भी कहना मुश्किल है, क्योंकि कांग्रेस का फोकस प्रदेश में जीती हुई 72 सीटों पर दोबारा जीत हासिल करने पर है. कांग्रेस की कोशिश होगी कि उनकी संख्या और बढ़े. वहीं भाजपा ने भी 75 सीट जीतने का दावा किया है.'

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कुल मिलाकर यहां कोई क्षेत्रीय पार्टी नहीं है. बल्कि सीधे बीजेपी और कांग्रेस के बीच की टक्कर की बात है. कांग्रेस के सुशील आनंद शुक्ला का कहना है,'बीजेपी ने मुख्यमंत्री के क्षेत्र में सांसद को प्रत्याशी बनाकर ये बताया है कि पाटन में भी उनके पास उम्मीदवार नहीं है. बीजेपी ने विजय बघेल को बलि का बकरा बना दिया है. साल 2018 के चुनाव में भूपेश बघेल प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं गए थे, बावजूद इसके उन्होंने पाटन विधानसभा में जीत हासिल की है.' वहीं बीजेपी के प्रवक्ता अमित साहू ने कहा कि विजय बघेल की दुर्ग सांसद होने के साथ ही एक अलग छवि है. बढ़त के साथ ही विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करेंगे. बहरहाल, वोटर का लोक-विधान तय करेगा कि आने वाले दिनों में किसकी जीत होती है ? किसकी हार? पर कुल मिलाकर यहां का चुनाव बड़ा दिलचस्प हो गया है.

Last Updated : Aug 25, 2023, 11:54 PM IST

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