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दुर्ग: विवादित कॉम्प्लेक्स की जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम का गठन

भिलाई नगर निगम में चंद्रा-मौर्या टॉकीज के सामने मौजूद विवादित कॉम्प्लेक्स के मामले में जिला प्रशासन ने 3 सदस्यीय जांच टीम गठित कर जांच के बाद कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

चंद्रा-मौर्या टॉकीज के सामने स्थित कॉम्प्लेक्स

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Published : Oct 4, 2019, 5:40 PM IST

Updated : Oct 4, 2019, 6:44 PM IST

दुर्ग: भिलाई नगर निगम में चंद्रा-मौर्या टॉकीज के सामने स्थित कॉम्प्लेक्स विवादों से बाहर नहीं निकल पा रहा है. पर्यावरण के लिए संरक्षित जमीन पर पिछले 20 साल से बनी इस बिल्डिंग पर कई आपत्ति लगाई गई थी.

चंद्रा-मौर्या टॉकीज के सामने स्थित कॉम्प्लेक्स

कुछ महीने पहले नियम विरूद्ध बिल्डिंग निर्माण के लिए आदेश भी जारी कर दिया गया था. जिसके बाद बीजेपी पार्षद भोजराम सिन्हा ने मामले में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराई थी. ETV भारत की खबर के बाद जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 3 सदस्यीय जांच टीम गठित कर जांच के बाद कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

भवन अनुज्ञा प्रभारी ने महापौर के खिलाफ खोला मोर्चा
भिलाई के सुपेला में स्थित यह तीन मंजिला बिल्डिंग एक बार फिर से मंत्रालय और हाईकोर्ट की राह पर है. 20 साल में इस पर कई आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं. बावजूद इसके निगम के सत्तासीन और बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से यह कॉम्प्लेक्स खड़ा तो हो गया, लेकिन एक बार फिर से सत्तापक्ष के पार्षद और MIC सदस्य, भवन अनुज्ञा प्रभारी दिवाकर भारती ने अपने ही अधिकारियों और महापौर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

दिवाकर भारती का कहना है कि, 'मैंने सार्वजनिक पार्किंग और ग्रीन बेल्ट की जमीन का गलत तरीके से आवंटन और बिल्डिंग परमिशन जारी करने पर याचिका लगाई है. जिस पर हाईकोर्ट ने 3 सप्ताह के अंदर निगम और शासन से जवाब मांगा है'.

शिकायत के बाद जिला प्रशासन ने लिया संज्ञान
लगातार एक के बाद एक शिकायत होने और मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन ने मामले में संज्ञान में लिया. जिला कलेक्टर ने मामले में 3 सदस्यीय जांच समिति गठित करते हुए इसकी जांच के आदेश दिए हैं.

कलेक्टर अंकित आनंद का कहना था कि, 'जांच में कई बिंदु हैं जिस पर इस जमीन का शुरू से इतिहास खंगाल कर उसकी सारी नस्तियों के आधार पर ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. इस प्रकार के मामले में जांच 2-4 दिन में नहीं हो सकती, इसमें 4 हफ्तों का समय लग सकता है.'

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मामले की जांच के लिए डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारी टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अधिकारी और निगम के अधिकारी शामिल हैं.

'निगम कमिश्नर रुकवा सकते हैं निर्माण कार्य'
वहीं जिलाधीश का कहना था कि, 'जब तक जांच पूरी न हो जाए तब तक भवन पूर्णता का प्रमाणपत्र नहीं दिया जाएगा. वहीं निर्माण के दौरान आपत्ति आती है, तो निर्माण कार्य निगम कमिश्नर अपने स्तर पर काम रुकवा सकते हैं.'

Last Updated : Oct 4, 2019, 6:44 PM IST

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