Ravana Vadh On Ekadashi In Dhamtari: छत्तीसगढ़ का ऐसा इलाका जहां रावण का होता है वध , महिलाएं इस परंपरा में नहीं होती शामिल, जानिए क्यों ?
Ravana Vadh On Ekadashi In Dhamtari:धमतरी में दशहरा नहीं बल्कि एकादशी के दिन होता है रावण का वध. सालों से धमतरी के सिहावा गांव के लोग इस परम्परा को निभा रहे हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा. Unique tradition of Ravana vadh in Sihawa
धमतरी: पूरे देश में दशहरा के दिन रावण के पुतले का दहन होता है. हालांकि धमतरी के सिहावा गांव में दशहरा के दिन नहीं बल्कि एकादशी के दिन रावण का वध किया जाता है. सालों से धमतरी के सिहावा गांव में ये परम्परा चली आ रही है. खास बात तो यह है कि इस दशहरे को देखने दूसरे राज्यों से भी लोग पहुंचते हैं.
ये है परम्परा: सबसे पहले यहां मूर्तिकार मिट्टी के रावण तैयार करते हैं. खास बात यह है कि इस मूर्ति को तैयार करने के लिए भी घर-घर से मिट्टी को लाया जाता है. फिर उस रावण का वध किया जाता है. यहां मिट्टी की सहस्त्रबाहु रावण की नग्न मूर्ति होती है. इस मिट्टी के रावण का वध पुजारी करते हैं. फिर श्रद्धालु रावण के शरीरे से मिट्टी को नोंच-नोंच कर घर ले जाते हैं. एक दूसरे को उसी मिट्टी से तिलक लगाकर पर्व मनाते हैं.
छत्तीसगढ़ का ऐसा इलाका जहां रावण का होता है वध
क्या कहते हैं बैगा: एकादशी पर रावण के वध की परम्परा को लेकर गांव के पुजारी तुका राम बैस ने ईटीवी भारत को बताया कि, " इस रावण का वध दशहरा पर नहीं बल्कि एकादशी के दिन किया जाता है. इस दिन मिट्टी के सहस्त्रबाहु रावण का वध होता है. फिर रावण की नग्नमूर्ति से मिट्टी को नोंच कर स्थानीय लोग ले जाते हैं. उसी मिट्टी का टीका लगाकर लोग एक दूसरे को बुराई पर अच्छाई की जीत की बधाई देते हैं." इस परंपरा में महिलाएं शामिल नहीं होती हैं.
हर संप्रदाय के लोग करते हैं सहयोग: वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि "सालों से ये परम्परा चली आ रही है. मान्यता है कि युगों पूर्व वासना से ग्रसित इस असुर का वध माता चण्डिका ने अपने खड़ग से किया था.तब से मिट्टी के असुर बनाकर उसका वध इस गांव के पुजारी के हाथों किया जाता है. इस परम्परा को निभाने में सर्भी धर्म सम्प्रदाय के लोग सहयोग करते हैं."
बता दें कि बुधवार को भी सुबह से ही सिहावा गांव में रावण वध की तैयारी की जा रही है. शाम के वक्त मिट्टी के रावण का वध किया जाता है.