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धमतरी: बढ़ रहे आत्महत्या के मामले, अब तक 139 लोग कर चुके खुदकुशी - छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन

जिले में लगातार बढ़ रहे आत्महत्या के आंकड़ों से पुलिस परेशान है. धमतरी जिले में पिछले 6 महीनों में अब तक 139 लोग अपनी जान दे चुके हैं, जिसमें ज्यादातर 10 साल के बच्चे से लेकर 60 साल के बुजुर्ग तक शामिल हैं.

Suicide cases in Dhamtari
धमतरी में आत्महत्या के मामले

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Published : Jul 25, 2020, 11:59 AM IST

धमतरी: जिले में लॉकडाउन के दौरान आत्महत्या के केस लगातार बढ़ रहे हैं. वहीं इन आत्महत्याओं ने पुलिस को परेशान कर रखा है. लगातार हो रही आत्महत्याओं की घटना की वजह पुलिस नहीं समझ पा रही है.

धमतरी में आत्महत्या के मामले

लॉकडाउन में अमूमन लोगों को रोजगार जाने और आर्थिक तंगी की समस्या का शिकार होना पड़ा. इस सब के बीच आत्महत्या जैसे मामले भी बढ़े. अप्रैल से ज्यादा मई और जून में आत्महत्या का ग्राफ बढ़ा है. खुदकुशी करने वालों से सबसे ज्यादा स्ख्या युवकों की है. इ अवधि में 40 साल से कम उम्र के करीब 40 लोगों ने अलग-अलग कारणों से आत्महत्या का रास्ता अपनाया. इसी तरह जनवरी से लेकर अब तक करीब केस सामने आ चुके हैं.

पिछले कुछ महीनों की घटना

  • मार्च महीने के दौरान दो बहनों ने एक साथ फांसी लगाकर अपनी जान दे दी.
  • अप्रैल महीने के दौरान शंकरदाह में एक युवक ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. सुसाइड करने से पहले युवक ने अपने भाई को व्हाट्सएप पर वाईस मैसेज भेजा था.
  • इसी तरह जून महीने में जिले के करेली बाड़ी पुलिस चैकी क्षेत्र के खिसोरा गांव में 11वीं क्लास के छात्र ने खुदकुशी कर ली.
  • जुलाई महीने में एक 10 साल के बच्चे ने फांसी लगा कर जान दे दी.
  • इसी महीने नगरी के बेलरगांव में एक 22 साल की युवती ने सीलिंग फैन में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली.

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आंकड़ों से हैरान है पुलिस

इस दौरान सुसाइड की कोशिश करने वाले कई लोगों की जान भी बचाई जा चुकी है. ऐसे में लगातार आत्महत्याओं से पुलिस कुछ समझ नहीं पा रही है. धमतरी पुलिस खुद इन आंकड़ों से हैरान है. क्योंकि इस समस्या का कोई ओर छोर नजर नहीं आ रहा है. इन आंकड़ों से परेशान पुलिस ऐसे मामलों में कमी आए इसके लिए अब जागरुकता अभियान सहित अध्यात्म का सहारा ले रही है, तो वहीं मनोविज्ञान से जुड़े प्रोफेसर इसके लिए मानसिक तनाव, पारिवारिक विवाद और नशे को मुख्य वजह बता रहे हैं.

आत्मनिर्भर बनने की जरूरत: मनोवैज्ञानिक

मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर का कहना है कि लॉकडाउन के कारण अकेलापन और काम से निकाले जाने की वजह से लोगों में तनाव बढ़ा है. इसके अलावा नशा भी एक बड़ी वजह है. इनसे बचने के लिए आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है. अपने अंदर की काबिलियत को पहचानने की जरुरत है.

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