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चार सौ बसंत देख चुका है यह पेड़, देवता की तहत पूजते हैं लोग

पीपल, बरगद, नीम, आंवला, शमी, आम हमारे यहां पेड़ों को देवता का रुप मानकर उनकी पूजा की जाती है. धमतरी के दुगली गांव में सरई (साल) का एक ऐसा पेड़ मौजूद है, जो करीब चार सौ साल पुराना है.

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Published : Jun 30, 2019, 3:17 PM IST

धमतरी: यहां मौजूद लोग इसे कुदरत का कुदरत का करिश्मा मानते हुए इसकी पूजा अर्चना करते हैं, तो वहीं वन विभाग ने पेड़ को वन धरोहर का दर्जा दिलाने कोशिश में जुटा है. बता दें कि यह प्रदेश का दूसरा सबसे पुराना पेड़ है.

चार सौ साल पुराना पेड़

ग्रामीण करते हैं पेड़ की पूजा
वैसे तो दूर से देखने पर ये मामूली सा जान पड़ता है, लेकिन अगर हम अतीत के झरोखे मे झांकेंगे तो ये खुलासा होता है कि ये पेड़ करीब चार सदी तक वक्त के थपेड़ों को अपने सीने पर झेल चुका है. सरई का यह पेड़ अलहदा है जिसकी वजह से लोग इस देवता का दर्जा देकर इसकी पूजा करने लगे हैं.

वन विभाग ने माना धरोहर
धमतरी से 50 किलोमीटर दूर दुगली गांव के जंगलों के बीच मौजूद खास किस्म का सरई का पेड़ उम्र के मामले मे सूबे में दूसरा मुकाम रखता है दिलचस्प बात ये है कि चार सौ सावन देख चुका यह दरख्त सेहत के नजरिए से आज भी दुरूस्त नजर आता है और लोगों को साफ हवा के साथ फल भी दे रहा है. किसी अजूबे की तरह लगने वाले इस वृक्ष को जिले के वन महकमे ने धरोहर मान लिया है और पेड़ के रख रखाव मे कोई कसर बाकी नहीं रख रहा है.

45 मीटर है पेड़ की गोलाई
रोजाना महकमे के मुलाजिम इस पेड़ की निगहबानी करते हैं, जिसका नतीजा ये है कि आज तक किसी ने भी इस दरख्त पर कुल्हाड़ी चलाने की जुर्रत नहीं उठाई. महकमे के अफसरों की माने तो इस पेड़ लम्बाई और मोटाई ही इसके उम्र की तस्दीक करते हैं. उनके मुताबिक इस पेड़ की लम्बाई 45 मीटर और गोलाई 446 सेंटीमीटर है. कुछ अफसर इसे मदर ट्री भी बता रहे हैं इसके साथ ही प्रशासन शासन को प्रस्ताव भेजने की बात कह रहा है.

दूर होती है परेशानी
इलाके के लोगों इसके प्रति कितना लगाव है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि, अगर लोगों को कोई परेशानी या तकलीफ होती है, तो वो उसे सरई बाबा के साथ साझा करते हैं. लोगों का दावा है कि पेड़ को परेशानी बताने से उन्हें दिक्कत से छुटकारा मिल जाता है.

महुए में मिलाकर खाते हैं फल
शादी ब्याह ,जन्मोत्सव और कोई भी नया कार्य शुरू करने से पहले ईलाके के लोग इसकी पूजा आराधना करने के बाद शुभ कार्य की शुरूआत करते हैं. जिसके चलते लोग दूर दराज से इस पेड़ को देखने आते हैं और पूजा पाठ करके मनोकामना मांगते हैं. लोगों का कहना है कि वो भूख लगने पर सरई और महुए के फल को मिलाकर खाते हैं, जिससे उनकी भूख शांत हो जाती है.

वन विभाग ने बनाया एल्बम
बहरहाल जिले का वनविभाग सरई बाबा के पेड़ की खासियत को लोग जाने इसके लिए बकायदा एलबम भी बनाया गया है, ताकि इस पेड़ की उपलब्धि लोगों को बताई जा सके. वाकई यह पेड़ अपने आप मे अनोखा है और इसे कुदरत का करिश्मा कहा जाए तो गलत नहीं होगा.

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