धमतरी:जिले के कुरूद विधानसभा क्षेत्र में रहने वाली शहनाज बानो अपने खेल के हुनर से राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अपना लोहा मनवा रही है. बचपन से आर्थिक अभाव में संघर्ष भरी जिंदगी जीने वाली शहनाज ने कभी हार नहीं मानी और लगातार बुलंदियों को छूती रही. कभी न रूकने वाले जुनून और सकारात्मक सोच के साथ ये एथलेटिक गर्ल लोगों के लिए प्रेरणा बनी हुई है. रग्बी फुटबॉल जैसे जोखिम भरे खेल की प्रैक्टिस करते वक्त शहनाज के पैरों में जूते-मोजे नहीं होते थे, लेकिन शहनाज ने इन तमाम बाधाओं को कभी अपनी कमजोरी नहीं समझी. खूब सपने देखे और सैकड़ों प्रमाण पत्र और मेडल हासिल किए. राष्ट्रीय खेल दिवस पर ETV भारत आपको शहनाज के संघर्ष से भरे जीत की कहानी बताने जा रहा है.
राष्ट्रीय खेल दिवस पर विशेष शहनाज के माता-पिता चूड़ी बेचने का काम करते हैं. घर की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी कभी नहीं रही कि शहनाज अपने सपनों को पूरा कर पाती. शहनाज आज जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचना बिलकुल आसान नहीं था.
टूर्नामेंट में शहनाज बानो कॉलेज के दौरान कोच ने की आगे बढ़ने में मदद
शहनाज बताती हैं कि बचपन से ही उनकी रुचि खेल में थी. घर की स्थिति खराब होने पर भी उन्होंने हार नहीं मानी और खेल में करियर बनाने की ठान ली. स्पोर्ट्स के पर्याप्त साधन नहीं होने के बाद भी वे बढ़ती गई और संसाधनों के अभाव के साथ ही अभ्यास करती रही. इस बीच कॉलेज में पहुंचने के बाद शहनाज के कोच ने उनकी लगातार मदद की और हमेशा खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.
- शहनाज 2014 में भोपाल में आयोजित 39वीं नेशनल महिला स्पोर्ट्स प्रतियोगिता में एथलेटिक्स के तौर पर भाग लिया और कामयाबी हासिल की.
- 2014 में उडुपी कर्नाटक में आयोजित एथलेटिक्स में कामयाब रही.
- 2015 में यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स रायपुर में ऑल इंटरसिटी फुटबॉल की महिला टीम में अपना लोहा मनवाया.
- 2017 में भी इंडियन रग्बी फुटबॉल के राष्ट्रीय स्नो रग्बी सेवेन चेम्पियनशिप जीत दर्ज की.
यही वजह है कि शहनाज को राज्य स्तर पर बेस्ट एथलेटिक्स का आवॉर्ड भी मिला. वर्तमान में शहनाज ने मास्टर ऑफ फिजिकल एजुकेशन की डिग्री प्राप्त की है और फिलहाल शहनाज ने नेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्पोर्ट्स में आवेदन किया है, जिसमें उन्हें अपना सेलेक्शन होने की पूरी उम्मीद है.
पढ़ें- कोंडागांव: सुविधाओं के नाम पर खिलाड़ियों से भद्दा मजाक, सरकार पर खेल से खिलवाड़ का आरोप !
शहनाज ने इस मुकाम के पीछे अपने माता-पिता सहित कॉलेज के टीचर और अपने कोच को श्रेय दिया है. उन्हें इस बात का मलाल भी है कि समय पर उचित प्लेटफॉर्म और कोच नहीं मिल पाया नहीं तो वह इंटरनेशनल स्तर पर पहुंच सकती थी. शहनाज भविष्य में कोच बनने की चाहत रखती हैं. वे उन लोगों की मदद भी करना चाहती हैं, जो प्रतिभावान खिलाड़ी हैं और जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वे आगे नहीं बढ़ पाते.
बचपन से खुद की काबिलियत को पहचानने वाली और लगातार मेहनत कर मील का पत्थर गढ़ने वाली शहनाज के सपनों की उड़ान लंबी है. ETV भारत उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है.